Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-१५७ का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे वैक्रियिक शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे औदारिक शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उसले तैजस शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे कार्मणशरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे आहारक-तैजस शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे आहारक-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे आहारक-तैजस-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्न विशेष अधिक है। उससे वैक्रियिक-तेजस शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे वैक्रियिक-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे चैक्रियिक-तैजस कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे औदारिकतेजस शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे औदारिक-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे औदारिक-तैजस-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे तैजस-कार्मण शरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। चार संस्थान का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे समचतुरस्र संस्थान का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे हुण्ड-संस्थान का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। आहारकशरीर अङ्गोपाङ्ग का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे वैक्रियिक शरीर अनोपान का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे औदारिक शरीर अङ्गोपाङ्ग का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। पाँच संहनन का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे असम्प्राप्तासृपाटिका संहनन का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। नील नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे कृष्ण नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे रुधिरवर्ण नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे हारिद्रवर्ण नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे शुक्लवर्ण नामकर्म का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है। दुर्गन्ध नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे सुगन्ध नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। कटुकरस नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे तिक्तरस नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे कषायरस नामकर्म का उत्कृष्ट विशेष अधिक है। उससे आम्लरस नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे मधुररस नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। मृदु-लघु स्पर्श नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे कर्कश-गुरु स्पर्श नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे शीत-उष्ण स्पर्श नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे स्निग्ध-रूक्ष नामकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। जिस प्रकार गतियों का अल्पबहुत्व है, उसी प्रकार आनुपूर्वियों का अल्पबहुत्व है। परघात और उच्छ्वास का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। अगुरुलघु और उपघात का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। आतप और उद्योत का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्पर समान है। दो विहायोगतियों का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्पर समान है। बस और पर्याप्त का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। स्थावर और अपर्याप्तका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। बादर, सूक्ष्म, प्रत्येक और साधारण का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र समान है। स्थिर, शुभ, सुभग और आदेय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। अस्थिर, अशुभ, दुर्भग और अनादेय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। सुस्वर और दुःस्वर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र परस्सर में समान