Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-१५८
है। अयश:कीर्ति का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे यश कीर्ति का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र संख्यातगुणा
नीच गोत्र का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र सबसे स्तोक है। उससे उच्चगोत्र का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है।
दानान्तराय का उत्कृष्ट प्रदेशाग सबसे स्तोक है। उससे लाभान्तराय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे भोगान्तराय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे परिभोगान्तराय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है। उससे वीर्यान्तराय का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है।
परस्थान अल्पबहुत्व दो प्रकार का है - जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्ट का प्रकरण है। निर्देश दो प्रकार का है - ओघ और आदेश। ओघ से अप्रत्याख्यानावरण मान का उत्कृष्टप्रदेशाग्र सबसे स्तोक है, उससे अप्रत्याख्यानावरणक्रोध का उत्कृष्ट प्रदेशाग्न विशेष अधिक है, उससे अप्रत्याख्यानावरणमाया का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे अप्रत्याख्यानावरणलोभ का उत्कृष्ट प्रदेशाग्न विशेष अधिक है। इसी प्रकार प्रत्याख्यानावरण और अनन्तानुबन्धीचतुष्कके उत्कृष्टप्रदेशाग्रका अल्पबहुत्व जानना चाहिए। आगे मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे केवलज्ञानावरणका उत्कृष्ट प्रदेशाग्न विशेष अधिक है, उससे प्रचलाका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे विदाका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष
अधिक है, उससे प्रचला-प्रचला का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेषाधिक है। उससे निद्रानिद्राका उत्कृष्टप्रदेशान विशेष अधिक है, उससे स्त्यानगृद्धिका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है उससे केवलदर्शनावरणका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे आहारकशरीर का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र अनन्तगुणा है, उससे वैक्रियकशरीर का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे औदारिकशरीरका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे तैजसशरीर का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे कार्मणशरीर का उत्कृष्टप्रदेशाग्न विशेष अधिक है, उससे नरकगतिका उत्कृष्टप्रदेशागे संख्यातगुणा है, उससे देवगतिका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे मनुष्यगतिका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे तिर्यञ्चगतिका उत्कृष्ट प्रदेशान विशेष अधिक है, उससे अयशस्कीर्तिका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है उससे जुगुप्सा का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र संख्यातगुणा है, उससे भयका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे हास्य-शोकका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे रति-अरतिका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे स्त्रीवेद-नपुंसकवेदक उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे दानान्तरायका उत्कृष्टप्रदेशाग्र संख्यात-गुणा है, उससे लाभान्तरायका उत्कृष्ट प्रदेशाग्न विशेष अधिक है, उससे भोगान्तरायका उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे परिभोगान्तराय (उपभोगान्तराय) का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे वीर्यान्तराय का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे क्रोधसञ्वलन का उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे मन:पर्ययज्ञानावरण का उत्कृष्टप्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे अवधिज्ञानावरणका उत्कृष्ट प्रदेशाग्र विशेष अधिक है, उससे