Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड-१६३
अवधिज्ञानावरणको और अन्त में जो मनःपर्यय-ज्ञानावरण है उसे शेष बचा एक भाग प्रमाण द्रव्य मिलेगा। प्रतिभागविधि इस प्रकार है -
४००० : ३ = ४०००, ४००० - ४००० - ८००० एणाणला अवधिज्ञानानाणको मिलेगा शेष ४००० प्रमाण जो एक भाग है वह मनःपर्ययज्ञानावरणका द्रव्य जानना।
देशघातिद्रव्य के विभाग की सन्दृष्टि इस प्रकार है - मतिज्ञानावरण | श्रुतज्ञानावरण | अवधिज्ञानावरण मनःपर्ययज्ञानावरण
कुल योग
६०००+
६०००+
६०००+
६०००+
= २४०००+
८०००
८०००
८०००
४०००
= १२०००
__= ३६०००
१४००० ८६६६-३ | ६८८८ ९ | ६४४४३
इस प्रकार ज्ञानावरणकर्मसम्बन्धी कल्पित ४५००० प्रमाण द्रव्यका सर्वघाति और देशघातिरूप से विभाजन मतिज्ञानावरणादि ५ प्रकृतियों में हुआ। सर्वघाति व देशघातिरूप विभाजित द्रव्य की मतिज्ञानावरणादि सम्बन्धी युगपत् सन्दृष्टि निम्न प्रकार है सो जानना ।
सर्वघाति-देशयातिरूप विभाजनकी सन्दृष्टि प्रकृति । मति | श्रुत । अवधि | मन:पर्यय | केवल । कुल योग
| ज्ञानावरण ! ज्ञानावरण | ज्ञानावरण | ज्ञानावरण | ज्ञानावरण सर्वघातिद्रव्य | ३२००+ | १८६६३ + | १४२२२ + | १२७४२० १२३७४ = ९०००+ देशघातिद्रव्य | १४००० | ८६६६ ३ | ६८८८१ | ६४४४३ | कुल जोड़ १७२०० १०५३३ | ८३१११ / ७७१८१४ | १२३७३०/४५०००
इसी प्रकार दर्शनावरण की ९ प्रकृतियों में भी सर्वघाति और देशघातिरूप विभाजन होगा उसका क्रम इस प्रकार है -
स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा, प्रचलाप्रचला, निद्रा, प्रचला, चक्षुदर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण, अवधिदर्शनावरण और केवलदर्शनावरण । इनमें से ५ निद्रा और केवलदर्शनावरण सर्वघाति व शेषप्रकृति देशघाति हैं।
= ३६०००