Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
View full book text
________________
गोम्मटसार कर्मकाण्ड-२२९
मिश्र
षट्खण्डागम रचयिता 'पुष्पदंत-भूतबली' आचार्य के मतानुसार उदयव्युच्छित्ति उदय और अनुदय प्रकृतियों की सन्दृष्टिगुणस्थान । उदय- | उदय | अनुदय
विशेष ब्युच्छित्ति मिथ्यात्व
| ५(तीर्थकर, आहारकद्विक, सम्यग्मिथ्यात्व,सम्यक्त्व) १० (मिथ्यात्व, आतप, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण,
स्थावर, एकेन्द्रिय व विकलत्रय) सासादन
१६ (१०+५+१ नरकगत्यानुपूर्वी)
४ (अनन्तानुबन्धीकषाय) २२ (१६+४+३ आनुपूर्वी : नरकगत्यानुपूर्वीबिना... ...१. सायणियात... . .
१ (सम्यग्मिथ्यात्व) असयत | १७ | १०४
१८ (२२+१-५ आनुपूर्वीचार व सम्यक्त्वप्रकृति) १७ (अप्रत्याख्यानकषाय ४, वैक्रियकषट्क,
नरक व देवायु, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी, दुर्भग, अनादेय व
अयशस्कीर्ति) देशसंयत
(प्रत्याख्यानकषाय ४, तिर्यञ्चायु,
तिर्यञ्चगति, नीचगोत्र, उद्योत) प्रमत्तसंयत
४१ (३५+८-२ आहारकद्विक) ५ (आहारकद्विक, स्त्यानगृद्धि, निद्रानिद्रा,
प्रचलाप्रचला) अप्रमत्त
| ४ (सम्यक्त्व और अर्धनाराच-कीलक व
सृपाटिकासंहनन) अपूर्वकरण
६ (हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा) अनिवृत्तिकरण
६ (स्त्री-पुरुष-नपुंसकवेद व सञ्चलनक्रोध
मान-माया) सूक्ष्मसाम्पराय| १
१ (सूक्ष्मलोभ) उपशान्तमोह
(नाराच व वज्रनाराचसंहनन) क्षीणमोह
१६ (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ४, अन्तराय ५,
निद्रा और प्रचला)
६