Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसारकर्मकाण्ड-१५० अब विभाग का क्रम कहते हैं -
बहुभागे समभागो अट्टण्हं होदि एकभागम्हि।
उत्तकमो तत्थवि बहुभागो बहुगस्स देओ दु॥१९५ ।। अर्थ - बहुभाग के समानभाग करके आठ प्रकृतियों को देना और शेष एकभाग में पहले कहे हुए क्रमसे आवली के असंख्यातवें भाग का भाग देते जाना। उसमें भी जो बहुत द्रव्यवाला हो उसको बहु भाग देना इस प्रकार अन्तपर्यन्त प्रतिभाग (भाग में से भाग) करते जाना।
विशेषार्थ - एकसमय में कार्मणसम्बन्धी समयप्रबद्धप्रमाण परमाणु ग्रहण किए, उन परमाणुओं का जो प्रमाण हो वह कार्मण समयप्रबद्धद्रव्य है। इसमें आवली के असंख्यातवें भाग का भाग देने पर जो प्रमाण आया उसमें से एक भाग को पृथक् रखना तथा बहुभाग के आठ भाग करना। उनमें से एकएक समान भाग आठ स्थानों में पृथक्-पृथक् स्थापित करना अर्थात् एक-एक समान भाग आठ मूल प्रकृतियों को देना तथा जो एक भाग पृथक् रखा था उसमें आवली के असंख्यातवें भाग का भाग देना
और एकभाग पृथक् रखकर रोंप बहुभान को जिसका बहुतद्रव्य कहा है एस वेदनीयकर्म को देना तथा पूर्वोक्त आठ भागों में से एक समान भाग के प्रमाण में इस प्रमाण को मिलाने पर जो प्रमाण हुआ उतने परमाणु समयप्रबद्ध में वेदनीयकर्मरूप परिणत होते हैं तथा जो एक भाग रहा था उसमें आवली के असंख्यातवेंभाग का भाग देने पर एक भाग पृथक् रखकर बहुभाग मोहनीयकर्म को देना और उन आठ समानभागों में से एक समान भाग के प्रमाण में इस प्रमाण को मिलाने पर जो प्रमाण हो उतने परमाणु मोहनीयकर्मरूप परिणत होते हैं तथा जो एक भाग शेष रहा उसमें आवली के असंख्यातवेंभाग का भाग देकर लब्धराशि में से एकभाग पृथक् रखना और शेष बहुभाग के तीन समानभाग करके एक-एक भाग ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तरायकर्म को देना तथा जो आठ समान भाग किए थे उनके एक-एक भाग में इस एक-एक भाग को मिलाने पर जो प्रमाण हो उतने-उतने परमाणु क्रम से ज्ञानावरणदर्शनावरण और अन्तरायरूप होकर परिणमते हैं। इन तीनों कर्मों का द्रव्य परस्पर समान जानना तथा जो एकभाग पृथक् रखा था उसमें आवली के असंख्यातवेंभाग का भाग देने से जो लब्ध आया उसमें से एकभाग पृथक् रखकर शेष बहुभाग के दो समानभाग करके एक भाग नामकर्म को और एक गोत्रकर्म को देना तथा पूर्वोक्त आठभागों में से एक-एक भाग में इस एक भाग को मिलाने पर जो प्रमाण हो उतनेउतने परमाणु अनुक्रम से नाम और गोत्रकर्मरूप परिणत होते है, उन दोनों कर्मों का द्रव्य परस्पर समान जानना तथा जो एकभाग शेष रहा था उसे आयुकर्म को देना और उन आठ भागों में से जो एकभाग प्रमाण द्रव्य था उसमें इस एकभागको मिलाने पर जो प्रमाण हो उतने परमाणु आयुकर्म रूप परिणत होते हैं। इस प्रकार "आउग भागो थोवो” इत्यादि जो वचन गाथा में कहा था वह सिद्ध हो गया। इस प्रकार एक समय में समयप्रबद्धप्रमाण पुद्गलद्रव्य आठकर्मरूप परिणमन करता है।