Book Title: Gommatasara Karma kanda
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड - ९७
देशसंयत में व्युच्छित्ति ४ प्रकृतिकी, बन्ध ६७ प्रकृतिका, अबन्ध १२ प्रकृतिका । प्रमत्तगुणस्थान व्युच्छित्तिरूप प्रकृति ६, बन्धरूप प्रकृति ६३, अबन्धप्रकृति १६ हैं । अप्रमत्त में व्युच्छित्ति १ प्रकृतिकी, बन्ध आहारकद्विकसहित ५९ प्रकृतिका, अबन्ध २० प्रकृतिका । अपूर्वकरणगुणस्थान में व्युच्छित्ति ३६ प्रकृतिकी, बन्ध ५८ प्रकृति का, अबन्ध २१ प्रकृतिका है। अनिवृत्तिकरणगुणस्थान में व्युच्छिन्नप्रकृति ५, बन्धप्रकृति २२, बन्धप्रकृति ५७ नवगुणस्थान में व्युच्छिन्न प्रकृति १६, बन्धप्रकृति १७, अबन्ध ६२ प्रकृतिका है। उपशान्तकषाय में व्युच्छित्ति शून्य, बन्ध १ प्रकृतिका और अबन्ध ७८ प्रकृतिका । क्षीणकषायगुणस्थान में व्युच्छित्तिशून्य, बन्धप्रकृति १, अबन्धप्रकृति ७८ हैं। अयोगीगुणस्थान में बन्ध व व्युच्छित्तिका अभाव है, किन्तु अबन्ध ७९ प्रकृतिका जानना ।
क्षायिकसम्यक्त्वसम्बन्धी बन्ध-अबन्ध-व्युच्छित्तिकी सन्दृष्टि
बन्धयोग्यप्रकृति ७९ । गुणस्थान ११ ।
विशेष
२ (आहारकद्विक)
गुणस्थान
बन्ध अबन्ध व्युच्छित्ति
असंयत
७७ २
१०
देशसंयत
६७ १२
મ
प्रमत्त
६३
१६
६
अप्रमत्त
५९
२०
१.
२१
३६
पूर्वकरण ५८ अनिवृत्तिकरण २२ ५७
५
सूक्ष्मसाम्पराय १७
६२
१६
उपशान्तमोह १
७८
१
७८
१
७८
0 ७९
क्षीणमोह
सयोगी
अयोगी
C
०
१
०
२० (१६+६ - २ आहारकद्विक)
मिथ्यात्व में व्युच्छित्तिरूप प्रकृति १६, बन्धप्रकृति ११७ तथा अबन्धप्रकृति ३ हैं । सासादन में व्युच्छिन्न प्रकृति २५, बन्धप्रकृति १०१ और अबन्धप्रकृति १९ हैं । सम्यग्मिथ्यात्वमें व्युच्छित्तिरूप प्रकृति शून्य, बन्धप्रकृति ७४ एवं अबन्ध प्रकृति ४६ जानना |
॥ इति सम्यक्त्वमार्गणा ॥