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विविध शरीराङ्गों पर व्रणशोथ का प्रभाव
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मूत्रमार्गपाक या मूत्रनालसंकोच का कारण उष्णवात तो है ही पर उसके अतिरिक्त मूत्रमार्ग में उपकरण प्रवेश ( instrumentation ) उत्तरबस्तिप्रयोग ( cathe - terisation ), इस प्रकार गिरना कि मूत्रमार्ग में चोट लगे, मूत्राश्मरी आदि भी हो सकते हैं ।
प्रसंगात् हम यहाँ पर ही पुरःस्थ ग्रन्थिपाक का वर्णन भी किए देते हैं । पुरःस्थप्रन्थिपाक (Prostitis )
पुरःस्थग्रन्थि को अष्ठीला ग्रन्थि भी कहते हैं । पुरःस्थग्रन्थि के पाक के तीव्र और जीर्ण दोनों प्रकार मिलते हैं । इस पाक का प्रधान कारण उष्णवात गोलाणु होता है पर जीर्ण प्रकार में उष्णवात गोलाणु मर जाता है और उसका स्थान पूयजनक दण्डाणु जिनमें आन्त्रदण्डाणु प्रमुख है ले लेते हैं ।
तीव्र पुरःस्थग्रन्थिपाक में व्रणशोथप्रसेकी या सपूय किसी भी प्रकार का हो सकता है । यदि सर पूयन ( diffuse suppuration ) हुआ तो ग्रन्थि में विद्रधिभवन होता है जिसके कारण ग्रन्थि का बहुत सा अंश नष्ट हो जाता है और बस्ति, मूत्रमार्ग, मलाशय या मूलपीठ ( perineum ) में छिद्रण होकर पूय बह निकलता है । यदि मूलपीठ या पायूपस्थयोरन्तराल में छिद्रण हुआ तो गुदकौकुन्दरखात ( ischio-rectal_fossa ) में कोशोतिपाक ( cellulitis ) होता हुआ भी देखा जाता है ।
जीर्णपुरः स्थग्रन्थिपाक में जब कि उसका भी कारण उष्णवातिक गोलाणु होता है तो ग्रन्थि में प्रसर तन्तूत्कर्ष तथा लसीकोशा भरमार बहुतायत से देखे जाते हैं । ग्रन्थि कठिन द्वंहण तथा सिकुड़ी हुई अथवा प्रवृद्ध देखी जाती है ।
पुरःस्थग्रन्थि की साधारण वृद्धि में जीर्णोपसर्ग के लक्षण देखे जा सकते हैं स्थान स्थान पर लसीकोशाओं की भरमार मिल सकती है, कहीं कहीं बहुन्यष्टिरकोशा भी पाये जा सकते हैं । यहाँ उष्णवातगोलाणु का कोई भी भाग रोग कारण में न होकर अन्त्रदण्डाणु या अन्यपूयजनक रोगाणुओं का ही भाग देखा जाता है ।
पुरुषप्रजननांगों पर व्रणशोथ का परिणाम
वृषणपाक ( Orchitis )
कर्णमूलग्रन्थिपाक के विना वृषणपाक बहुत कम देखा जाता है क्योंकि अधिवृषणिका ( epididymis ) में जो तीव्र पाक हो जाता है वह प्रायः वृषणग्रन्थि तक नहीं पहुँचता । वृषणों की सूजन आघात ( trauma ) के कारण जैसे खेलने में पादाघात ( kick ) होने पर होती हुई बहुधा देखी जाती है । इसके कारण वृषणग्रंथि
शूल होता है तथा उसका आकार बढ़ जाता है । आघातजन्य व्रणशोथ उपशम बहुत शीघ्र होने लगता है, कभी कभी उपशम न होकर अपोषक्षय ( atrophy ) भी होता हुआ देखा जाता है ।
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