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विकृतिविज्ञान अण्वीक्ष से प्रथम प्रकार देखने से ज्ञात होता है कि इस विहास का प्लीहा प्रावर (capsule ) के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। अन्दर पहले केशाल एवं धमनिकाएँ, फिर जालक ( reticulum ) और फिर गोर्द प्रभावित होता है। प्रारम्भिक अवस्था में प्लीहाणुओं की केन्द्रिय धमनिका रोगयुक्त रहती है पर आगे चलकर उसके भी मध्यस्तर में रोग प्रारम्भ हो जाता है। __ स्थूलदृष्टया, प्लीहा भारी हो जाती है। जिससे उसका आकार बढ़ जाता है तथा आपेक्षिक घनत्व भी। उसे काटने पर उसका धरातल सूखा तथा चिकना हो जाता है जिसमें साबूदाने के समान छोटे चमकीले पिण्ड सटे रहते हैं। उन पिण्डों का आकार पिन की नोक से लेकर उड़द के दाने के बराबर तक होता है। आयोडीन द्वारा अभिरञ्जित करने पर रंग आरक्त बभ्रु ( reddish brown ) हो जाता है। पर केन्द्रिय धमनी के अप्रभावित रहने के कारण केन्द्र श्वेत रहता है।
प्रसृत प्रकार के विहास में कार्य गोर्द की सूक्ष्म सिराओं में होता है। वहाँ से वह संधार (stroma ) में जाकर फिर दण्डिकाओं ( trabeculae ) और तदनन्तर केशालों को जाता है। इसमें प्लीहा नाभ्य प्रकार की अपेक्षा आकार में बहुत अधिक बढ़ जाती है। साथ ही उसमें पर्याप्त कठिनता और दृढ़ता आ जाती है। उसके प्रावर (कैपसूल) में आतति एवं पारदर्शता आ जाती है। काटने पर प्लीहा शुष्क, समाज, पारभासी और रक्तहीन तल वाली प्रकट होती है। कभी कभी वह पाण्डुर और कभी कर्बुरित और कभी कभी आरक्त बभ्रु वर्ण की होती है इसे चाकू से मोम की तरह काट सकते हैं। समापस्थ गोर्द (गूदे ) से घिर जाने से कहीं कहीं प्लीहाणु प्रभावित हो जाने पर दिखलाई नहीं देते।
वृक्कों का मण्डाभ विहास अण्वीक्ष से देखने पर सर्वप्रथम मालपिषियन पिण्डों में परिवर्तन मिलता है। कुछ वृक्काणुओं फिर कुछ केशाल प्रभावित होते हैं तत्पश्चात् धीरे धीरे सभी केशाल इस विहास के शिकार बन जाते हैं जिससे सम्पूर्ण कुण्डल ( coil ) अस्पष्ट सीमायुक्त प्रभासी आकृति धारण कर लेता है । यह परिवर्तन नालिकाओं के अधिच्छद पर विहास का कोई प्रभाव प्रायः नहीं मिलता। साथ ही यह विहास समस्त वृक्क में असम होता है।
निम्न में मिलता है:१. अभिवाही धमनियाँ (afferent arteries ) २. नालिकाओं के चारों ओर का केशाल जाल । ३. मज्जक की धमनिकाएँ ( arteriolae rectae of the medulla) ४. ( विहास के बढ़ जाने पर) अन्तर्नालिकीय ऊति ( inter tubular
tissue ) ५. नालिकाओं का मुख्य चोल ( tunica propria of the tubules)
साधारणतया प्रारम्भ में अधिच्छद तथा नालिका दोनों पर कोई परिवर्तन दृग्गोचर
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