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ज्वर
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१ शीताङ्ग सन्निपात
७ जिह्वकसन्निपात २ तन्द्रिक सन्निपात
८ सन्धिगसन्निपात ३ प्रलापकसन्निपात
९ अन्तकसन्निपात ४ रक्तष्ठीविसन्निपात
१० रुग्दाहसन्निपात ५ भुग्ननेत्रसन्निपात
११ चित्तविभ्रमसन्निपात ६ अभिन्यासन्निपात
१२ कर्णकसन्निपात
१३ कण्ठकुब्जकसन्निपात
शीताङ्ग सन्निपात ( १ ) हिमशिशिरशरीरः सन्निपातज्वरी यः । श्वसनकसनहिक्कामोहकम्पप्रलापैः॥
क्लमबहुकफवातादाहवग्यङ्गपीडास्वर विकृतिभिरातः शीतगात्रः स उक्तः ।। (भावप्रकाश) (२) हिमसदृशशरीरो वेपथुश्वासहिक्का । शिथिलितसकलाङ्गः खिन्ननादःप्रलापः॥
क्लमथुदवथुकासच्छर्यतीसारशोकान् । त्वरितमरणहेतुः शीतगात्रप्रभावात् ॥ (आयुर्वेद) (३) उग्रतापः क्लमः शैत्यं छर्वतीसारवेगवान् ।
शोककम्पभ्रमश्वासशीतगात्राद्युपद्रवाः ॥ ( मा. नि.) (४) शरीरं हिमशीतं च च्छर्यतीसारकम्पनम् । क्षीगनाड्यङ्गतापश्च हिक्काश्वासक्लमश्रमाः॥
सर्वाङ्गशिथिलो हन्ति शीताङ्गसन्निपातकः । (नित्यनाथ ) (५) सर्वाङ्गं चन्द्रवच्छीतं कासः श्वासश्च जायते। हिक्का सर्वाङ्गशैथिल्यं वान्तिसन्तापमूर्च्छनम् ॥
अतिसारोङ्गकम्पश्च शीताने सन्निपातिके ।। (चिन्तामणि) (६) तुषारशीतं सकलं शरीरं प्रकम्पहिक्के शिथिलाङ्गता च ।
खिन्नः स्वरः कासवमिप्रसेकाः स शीतगात्रः शरणार्थमुक्तः ॥ ( वैद्यविनोद) शीताङ्गसन्निपात का जो वर्णन ऊपर लिखा गया है उसमें शीतगात्रता मुख्य लक्षण है । इस शीतगात्रता की उपमा किसी ने हिमगात्रता से दी है किसी ने उसे चन्द्रवच्छीत ठहराया है और किसी ने उसे तुषारशीत कहा है। रोगी का शरीर ऐसा ठण्डा हो जाता है जैसे ओला। उसका तापांश गिरे या न गिरे पर शरीर का बाह्य धरातल ठण्डा पड़ता चला जाता है । भावप्रकाश में जिस ग्रन्थान्तर का उद्धरण दिया गया है उसके अनुसार श्वास, कास, हिक्का, मोह, कम्प, प्रलाप, क्लम, कफ, वात
और दाह की अधिकता, वमी, अंगशूल और स्वरविकृति ये लक्षण और मिलते हैं। बसवराजीय से २, ३, ४ और ५ अनुक्रमाङ्क के उदाहरण लिये गये हैं। उनमें आयुर्वेद भावप्रकाशीय दृष्टिकोण को अधिक स्पष्ट करता है उसने अङ्गपीड़ा के स्थान पर शिथिलित सकलाङ्ग का प्रयोग किया है, विकृत स्वर के स्थान पर खिन्न नाद बतलाया है, दवथु और अतीसार दो उसके अतिरिक्त लक्षण दिये हैं। भावप्रकाशीय मोह बहुकफवातादाह नहीं आये। महत्त्व की बात यह है कि जहाँ भावप्रकाश में दाह और अधिक कफता अथवा मोह को महत्त्व दिया है वहाँ इसने उनका उल्लेख भी नहीं किया।
बसवराजीय माधवनिदान में उग्रताप, क्लम, शैत्य, वमन, वेगवान् अतीसार, शोक कम्प, भ्रम, श्वास और शीतगात्रता नामक लक्षण दिये गये हैं। कहना नहीं होगा
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