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४३५.
(२) श्वासकासपरितापविह्वलो मीलिताक्षि च कफावृतं मुखम् ।
निश्वसन्बधिरमूकलक्षणश्चान्तकृद्भवति यः स जिह्वकः ॥ (मा.) (३) श्वसनकासपरितापविह्वलः कठिनकण्टकवृता च जिबिका।
बधिरमूकबलहानिलक्षणो भवति कष्टतरसाध्यजिह्वकः ॥ (आ.) ( ४ ) कण्टका कठिना जिह्वा कासश्वासातिविह्वलः । मूको बधिरता तापो बलहानिर्विलक्षणैः ।
जिह्वकः सन्निपातोऽयं कष्टसाध्यं विदुर्बुधाः ॥ (नि. ना.) (५) निश्वासो वेगसन्तापौ कासः कठिनजिहिका। कण्टका श्यामवर्णा च मूकत्वं बधिरो जडः।
जिह्वकः सन्निपातोऽयमसाध्यं च विनिर्दिशेत् ॥ (चि.) .. (६) श्वासकासपरीतापविह्वलः कण्टकैर्विवृतकण्ठजिह्वकः।
मूकता बधिरता बलक्षयः कष्ट एव किल जिह्वकः स्मृतः ॥ (वै. वि.) जिह्वक सन्निपात एक त्रिदोषज, पर कष्टसाध्य व्याधि है। इसमें ज्वर का ताप बहुत अधिक हो जाता है। जीभ कठिन काँटों से पूर्ण और श्यामवर्ण की हो जाती है। ये कांटे कण्ठतक व्याप्त होते हैं। ज्वर के वेग की तीव्रता के कारण रोगी का सुनना तथा जिह्वा में स्वयं अत्यधिक कष्ट होने के कारण बोलना बन्द हो जाता है। इसके साथ ही श्वास की गति बढ़ी हुई होती है। खाँसी भी साथ ही साथ चलती रहती है रोगी अत्यन्त विह्वल और दुर्बल हो जाता है।
सन्धिग सन्निपात (१) व्यथातिशयिता भवेच्छवयथुसंयुता सन्धिषु प्रभूतकफता मुखे विगतनिद्रता कासरुक् । समस्तमिति कीर्तितं भवति लक्षणं यत्र ज्वरे त्रिदोषजनिते बुधैः स हि निगद्यते सन्धिगः ॥
(भा. प्र.) ( २ ) अङ्गशोफो वायुकफौ तन्द्राशूलप्रजागराः।
सन्धिकाख्ये सन्निपाते बलहानिश्च जायते ॥ ( मा. नि.) ( ३ ) पूर्वरूपकृतशूलसम्भवं शोफवातबहुवेदनान्वितम् ।
श्लेष्मतापबलहानिजागरं सन्निपातमिति सन्धिकं वदेत् ॥ ( आ.) ( ४ ) शरीरं पूर्ववच्छूलं शोफवातं च वेदना।
कफस्तन्द्रा मता पञ्च सन्धिके सान्निपातिके ।। (नि. ना.) (५) सदास्यं श्लेष्मणापूर्ण शूलनासातिवेदना।
शोकः स्याल्लक्षणं शेयं सन्धिके सान्निपातिके ॥ (चि.) (६) शूलं च शोफो जठरे गुरुत्वं स्रस्ताङ्गता सन्धिषु वेदना च ।
बलक्षयो वातकफप्रकोपो निद्रात्ययः सन्धिगसन्निपाते ॥ (वै. वि.) इस सन्निपात का मुख्य लक्षण सन्धियों में शोफ और शूल के साथ वातकफ इन दोषों की उल्बणता से उत्पन्न तीव्र ज्वर का होना है। रोगी का अंग अंग कसकता है। निद्रा उसे बिल्कुल नहीं आती, दर्द से डकराता रहता है । कभी कभी मुख में कफ भर जाता है। रोगी का बल क्षीण हो जाता है। कभी कभी तन्द्रा, कास, नासाशूल, उदर में भारीपन या थकावट का अनुभव होता है। यह साध्य रोग है।
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