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विकृतिविज्ञान समाप्त हो जाता है परन्तु चलाक्ष भुजायन की प्रतिक्रिया स्थिर रहती है। दोनों तारकों के आकार की विषमता और बहीरेखाओं (outlines) की विषमता भी देखी जाती है। ___ अंगघातिक पकड़ इस रोग का बहुत महत्व का विकार है। ये पकड़ ( seizu. res ) संन्यासरूपी ( apoplectiform ) अथवा अपस्माररूपी (epileptifam) होती है। पहले में रोगी मूञ्छित हो जाता है और जब होश में आता है तो उसके एक अंग में या एक पक्ष में घात हो जाता है। पर यह घात स्थायी न होकर अस्थायी होता है और कुछ काल ही में समाप्त हो जाता है। वह दो चार घण्टों से लेकर दो एक दिन तक ही रहता है । घात का यह अस्थायित्व बहुत महत्वपूर्ण एवं विचित्र है। यह क्यों होता है और क्यों चला जाता है यह कहना बहुत कठिन है। इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जब यह पकड़ होती है तब मस्तिष्कोद में कोशागणन अत्यधिक बढ़ जाता है तथा जब घात हट जाता है तो वह इतना नहीं रहता।
उन्मत्तस्य सर्वांग घात में मस्तिष्कोदीय परिवर्तन पश्चकार्य की अपेक्षा अधिक होते हैं और पर्याप्त स्थायी होते हैं। रोग के प्रारम्भ में वे परिवर्तन विशेप देखे जाते हैं जब कि रोग का निदान करना कठिन होता है, पर ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है और जीर्णावस्था को प्राप्त हो जाता है ये परिवर्तन उतने अधिक नहीं देखे जाते । कोशा ३० से १०० तक प्रति घन मिलीमीटर हो जाते हैं । मुख्य कोशा लसीकोशा होता है परन्तु बहुन्यष्टि कोशा भी मिल सकते हैं। घात पकड़ के समय ये अत्यधिक बढ़ जाते हैं। मस्तिष्कोद में प्ररसकोशा भी मिलते हैं। ये कोशा इसी रोग में ही मिलते हैं तथा उन्हें पहचानने के लिए अल्झीमर विधि ( alzheimer method ) का प्रयोग करना आवश्यक होता है। बृहत् अन्तश्छदीय कोशा भी बहुत बड़ी संख्या में मिल सकते हैं प्रोभूजिनाधिक्य तो इसमें स्थायी हो होता है । ९६ से १०० प्रतिशत रुग्णों में वासरमेन प्रतिक्रिया अस्त्यात्मक मिलती है यदि रोगी की कोई चिकित्सा न की गई हो तो। श्लेष्माभ स्वर्ण प्रतिक्रिया घातिक वक्र रेखा देती है। कभी-कभी रोग की जीर्णावस्था में रोगी के रक्त की वासरमैन प्रतिक्रिया नास्त्यात्मक होती है पर मस्तिष्कोद की अस्त्यात्मक देखी जाती है ।
कुन्तलाणूत्कप (Spirochaetoses) फिरंग के वर्णन के साथ-साथ अन्य कुन्तलाणुजनित व्याधियों का उल्लेख कर देना पूर्णतः संगत है इस कारण हम नीचे निम्न रोगों का संक्षिप्त विचार उपस्थित करते हैं:
१-प्रत्यावर्ती ज्वर ( relapsing fever ) २-गलशोफ ( vincent's angina ) ३-न्युपदंश या परंग ( yaws) ४-वीलरोग ( weil's disease)
प्रत्यावर्ती ज्वर यह एक ऐसा ज्वर है जिसमें कुछ काल तक ज्वर और कुछ काल तक
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