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अर्बुद प्रकरण
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करता है । इसके कारण डासकेट के मत से मस्तिष्क में ३१.४ प्रतिशत मस्तिष्कगत अर्बुद मिला करते हैं तथा अधिवृक्क में २१.८ प्रतिशत पाये जाते हैं । अन्य कारणों से ०.९ प्रतिशत मस्तिष्क में तथा १.९ प्रतिशत अधिवृक्कों में मिलते हैं। किसी भी प्रौढ़ पुरुष में जब द्रुतवेग से मस्तिष्कार्बुद उत्पन्न हो रहा हो तब उसे प्राथमिक व्याधि न मान कर उत्तरजात मान लेने में कोई हानि नहीं होती क्योंकि बहुधा ऐसी अवस्था में फुफ्फुसों में कर्कटोपस्थिति अवश्य मिल जाया करती है । इसका कारण यह है कि फुफ्फुसों और मस्तिष्क का रक्त के द्वारा सीधा सम्बन्ध जुड़ा हुआ है।
फुफ्फुस कर्कट आधुनिक युग में जितना अधिक मिलने लगा है उतना पहले नहीं मिलता था इसका अर्थ यह नहीं कि अब यह अधिक होने लगा है बल्कि इसका अर्थ यह है कि इसके सम्बन्ध में जो अज्ञान था वह हट गया है और अब इसकी संख्या अधिक मालूम देती है । इस कर्कट का ज्ञान प्राचीन काल में क्षकिरणादि के अभाव में करना बहुत कठिन पड़ता था । अब भी इसका निदान करना सभी के लिए सरल नहीं है ।
फुफ्फुस ' में कर्कट होने के कारण निम्नलिखित प्रमुख लक्षण देखने में आते हैं :
( १ ) कास,
( २ ) रक्तरञ्जित ष्ठीव,
( ३ ) श्वासकृच्छ्रता,
( ४ ) उरःशूल ।
कास का कारण श्वासनाल में कर्कट की उपस्थिति के कारण उत्पन्न प्रक्षोभ होता है इसलिए वह प्रारम्भ में शुष्क होती है परन्तु निरन्तर रहती है । रक्तरञ्जित टीव का कारण श्वसनिकीय श्लेष्मलकला में रक्तस्त्राव का होना कहा जाता है ।
टी ( थूक ) में कर्कटकोशा बहुधा उपस्थित रहते हैं । इनका परीक्षण साधारण विधियों द्वारा सरलतया किया जा सकता है । जब धीरे-धीरे श्वासनाल कफ से भर कर अवरुद्ध या संकुचित होने लगते हैं ( atelectasis ) तब कर्कट की उपस्थिति का आभास हो सकता है । श्वासकृच्छ्रता का धीरे-धीरे बढ़ना कर्कटीय उपस्थिति का एक महत्वपूर्ण लक्षण है । श्वसनिकीय अवरोध तीन प्रकार का होता है । बन्द कपाटीय अवरोध में वायु अवरोध को पार करके फुफ्फुस के उस क्षेत्र तक पहुँच नहीं पाती । सूक्ष्ममार्गयुक्त कपाट में से बहुत थोड़ी मात्रा मैं वायु आती जाती रहती है तथा एक एकमार्गीय कपाट होता है जिसमें वायु एक ही ओर को जाने पाती है। जब वायु केवल अन्दर की ओर ही जाती है तब वनका विस्तार ( emphysema ) तथा जब वायु बाहर की ओर निकलती है तो श्वसनिकासंकोच ( atelectasis ) होने की सम्भावना रहती है | श्वासनाल में अवरोध की उपस्थिति का होना फुफ्फुस कर्कट के प्रधान लक्षणों में आता है । श्वासकृच्छ्रता आधे से अधिक कर्कटफुफ्फुसियों में मिला करती है । श्वासकृच्छ्रता श्वासनालगत अवरोध के ही कारण होती है या कोई और भी कारण हैं यह कहना
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