Book Title: Abhinav Vikruti Vigyan
Author(s): Raghuveerprasad Trivedi
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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१०६४
विकृतिविज्ञान
६००
शोष
४९३
विषय पृष्ठ | विषय पृष्ठ | विषय
पृष्ठ शविकक्षाराम १०२८ शोणांशि १०२७ श्वसनक यक्ष्मकिलाटीय५५१ शिमैल्बुशामय १७४ शोणांशीय अवस्थाएं ९२७ -संस्थान पर व्रण शिरः शूल
शोथ आगन्तुज ४,५ शोथ का परिणाम ७७ शिरोऽर्ति ३८६,३८७ - देखो व्रण शोथ
श्वसनीपाक अभिघटन शिशिरप्रियता
-निज
४
तन्विमत् ८५ शिशु वृक्कपाक १५६ -सम्प्राप्ति १०७५ श्वास शीघ्रकारि ४२५ -सांग वृक्कीय १४७ -तमक
४०२ शीत ३१३ शोफ आगन्तु
-सम्प्राप्ति १०७५ शीतक ४१२ -द्वन्द्वज
श्वित्र सम्प्राप्ति शीत मात्रता ४२९ -परिभाषा
श्वेत जिह्वता -पित्त
४१२ -पैत्तिक
-पाद ७४, २६७ - शोण प्रसमूहि - रक्तज
श्वैत्य
४०२ --- शोफता १६ - वातिक
ष्ठीव
४९८ शीताद १०० -विषज
संकट अग्रसिराविस्फारी८११ शीताभिप्रायता ३७९,३८६ - श्लैष्मिक
- अधिवृक्क मज्जक ८२० शीतेच्छा
-सम्प्राप्ति १०७५ - अन्ननलिकास्थ ८१९ शीलविकृति ३१४ - सान्निपातिक
- अस्थिजनक ८०९ शुक्राबुद
७५८ - स्थूल
१४६
- अस्थि दलक ८१२ शुक्लता अक्षणोः ४०२
- अस्थि या अस्थि शुक्लमूत्र पुरीषत्व ४०२ -मुखतालुकण्ठ ३६४
जनक ८०६ शूल उदर ३६४, ७३७
शौक्ल्यम्
४०२
-आन्त्र -सम्प्राप्ति १०७५
शौषिर
१०१ -आमाशयस्थ ८१९ शेषान्त्रकपाक श्रम
--कास्थि ८४१ शैत्य ३६९,४०१
श्रुतिरोध
४०५ - गर्भाशय ८२२ शैयाव्रण
श्लीपद सम्प्राप्ति १०७५ शैशवीयाङ्गघात २१२ श्लेषक
- जरठ प्रकारीय ८११ शोकातीसार ९७८
श्लेषरुहार्बुद बहुरूपी ८५४ - जालकान्तश्छदीय शोण कोशरुह ८६८
श्लेष्म-विभेदार्बुद ८३७ ___संस्थान के ८१४ -प्रियता ९२३
- जालिका कोशीय ८१६ - रुहोत्कर्ष शैशवीय ९३४ श्लेष्मार्श १०११ - - बहुरूपीय ८७ - वर्तुलि सम्बन्धी श्वसनिकापाक
-जिह्वास्थ ८१८ परिवर्तन ८६९ श्वसन
- तुण्डिकास्थ ८१८ श्वसनक ज्वर देखो -वाहिन्यन्तश्छदार्बुद८४६
- पश्चोदरच्छदीय ८१९ फुफ्फुस पाक तथा - वाहिन्यर्बुद
-पुरःस्थ ( अष्टीला) कर्कटक सन्निपात केशिकीय ८४५ श्वसनक नीरेय संचय ९१
ग्रन्थि ८२१
प्राग्ज्ञान ८१२ -स्रोतसीय ८४६ -प्रतिश्याय शोण
- बस्ति - व्यंशि १०२७
प्रियाणु जन्य ९५
-बीज ग्रन्थि ८२२ - सन्धिता | -प्रतिश्यायात्मक ९५
- महाकोशीय ८१२ शोणांशन ९२७ । -मालागोलाणुज ९४ । - यकृत्
८१९
८१९
-ग्रन्थि
श्लेष्मार्बुद
२50
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