Book Title: Abhinav Vikruti Vigyan
Author(s): Raghuveerprasad Trivedi
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan
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-सन्निपातभेदप्रदर्शिकातालिका
भुग्ननेन्न
कण्ठकुज
रक्तष्ठीची
शीताङ्ग
अभिन्यास
फल्गु
शीघ्रकारी
मकरी विस्फुरक भालुकितन्त्रिय सन्निपात विशेष
१११२
तीन ज्वर के साथ तीव्र ज्वर के साथ .
तीव्र ज्वर के साथ व्र ज्वर के साथ शिरःशूल तथा रक्तष्ठीवन और
तीन ज्वर हो या न है। वक्रदृष्टिता शूकावृत कंठ और त्वचा पर लाल
पर हिम के समान व
शीतल शरीरमकता स्निग्धमुष्णता गलरोध हनुस्तम्भ
अतीव मोह या ज्वर अङ्गमद निद्रता चेष्टानाश तालुशोष
शीतज्वर क्षुधा ज्वर, ग्लानि, पर ज्वर अन्तर्दाह पार्श्वनिग्रह शिरो- पार्श्वशूल, दृष्टिक्षय,
अन्तःवर पर्वभेद शी वहिःशीत दक्षिण गौरब आलस्य पिण्डिकोद्वेष्टन अब |
गौरव नाभिपार्श्वपार्श्वतोद उरोग्रह मन्यास्तम्भ कटि- साद सरक्तविण्मूत्र मूल स्विन्नाशुप्र
शूल स्विन्नाशुप्रता शिरःशूल कण्ड वस्तिशूल गुदबस्तिशूल ।
वृद्धि स्रोतों में रक्त
का प्रवर्तन कफपित्त कफवात
बात
पित्त
चकत्ते
वातपित्त
बातपित्त
पित्तवात
वातपित्त
त्रिदोत्र
वातपित्त
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