Book Title: Abhinav Vikruti Vigyan
Author(s): Raghuveerprasad Trivedi
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 1204
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -सन्निपातभेदप्रदर्शिकातालिका भुग्ननेन्न कण्ठकुज रक्तष्ठीची शीताङ्ग अभिन्यास फल्गु शीघ्रकारी मकरी विस्फुरक भालुकितन्त्रिय सन्निपात विशेष १११२ तीन ज्वर के साथ तीव्र ज्वर के साथ . तीव्र ज्वर के साथ व्र ज्वर के साथ शिरःशूल तथा रक्तष्ठीवन और तीन ज्वर हो या न है। वक्रदृष्टिता शूकावृत कंठ और त्वचा पर लाल पर हिम के समान व शीतल शरीरमकता स्निग्धमुष्णता गलरोध हनुस्तम्भ अतीव मोह या ज्वर अङ्गमद निद्रता चेष्टानाश तालुशोष शीतज्वर क्षुधा ज्वर, ग्लानि, पर ज्वर अन्तर्दाह पार्श्वनिग्रह शिरो- पार्श्वशूल, दृष्टिक्षय, अन्तःवर पर्वभेद शी वहिःशीत दक्षिण गौरब आलस्य पिण्डिकोद्वेष्टन अब | गौरव नाभिपार्श्वपार्श्वतोद उरोग्रह मन्यास्तम्भ कटि- साद सरक्तविण्मूत्र मूल स्विन्नाशुप्र शूल स्विन्नाशुप्रता शिरःशूल कण्ड वस्तिशूल गुदबस्तिशूल । वृद्धि स्रोतों में रक्त का प्रवर्तन कफपित्त कफवात बात पित्त चकत्ते वातपित्त बातपित्त पित्तवात वातपित्त त्रिदोत्र वातपित्त +++++ +++ +++ +++ +++ +++ ++++++ ++ +++ + ++ + ++ -++++ + + +++++ +++++ +++++ ++ + ++ + ++++ ++ + + ++++ + +++++ + + + + + I +++++++++++ ++ +++ । +++++ +++++ +++ 1 + + + + +++++ +++ ++++ +++++ ++++++ + ++ + |++++ +++ +++ +++++ + + + +++ +++++ +++++ +++ +++ + + + +++++ ++++ +++++ +++ +++ ++++ ++++ ++ + +++++ +++ +++ ++++ +++ +++ +++ ++++++ +++ +++ ++++ - For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 1202 1203 1204 1205 1206