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२०३४
विकृतिविज्ञान
प्रतिजन प्रतिद्रव्य प्रतिक्रिया प्रथम गण :
केवल हैप्टोफोर समूह : विष-प्रतिविष द्वितीय गण:
हैप्टोफोर तथा इर्गोफोर : प्रसमूहन, निस्सादन तृतीय गण :
दो हैप्टोफोर : पूरक-प्रति बन्धन,अंशन ___अहर्लिकवाद प्रतिद्रव्य निर्माण के सम्बन्ध में योग्य विचार प्रकट करता है और प्रतिजन-प्रतिद्रव्य प्रतिक्रियाओं का पक्षपाती है। इसमें यद्यपि आजतक परिवर्तन होते चले गये हैं तथा इसको आधार मान कर प्रयोगशालाओं में प्रतीकारिता की समस्याओं के सम्बन्ध में गवेषणाएँ की गई हैं। अहर्लिक की अपने वाद के सम्बन्ध की बहुत सी धारणाएँ गलत सिद्ध हुई हैं। उदाहरण के लिए विष-प्रतिविष का क्लीबन तीक्ष्ण अम्ल और तीक्ष्ण क्षारीय प्रकार का और अनुत्क्राम्य ( nonreversible) होता है, ऐसा वह मानता था जो आगे व्यवहार में सिद्ध नहीं हो सका । प्रतिजन-प्रतिद्रव्य संयोजन सम्बन्धी उसके मत भी आज मान्य नहीं हैं।
अीनियस और मदसेनवाद प्रतिजन-प्रतिद्रव्य संयोग अस्थायी तथा आसानी से वियाव्य ( dissociable ) होता है अतः इन दो विद्वानों ने यह सुझाव रखा कि इनकी क्रिया उत्क्राम्य स्वरूप की है और ऐसी है कि जैसी मन्द अम्ल और सुषव ( alcohol ) में प्रलवण ( ester ) बनाने में होती है। विष और प्रतिविष के किसी भी मिश्र में प्रतिक्रियाकर पदार्थों के संकेतण की मात्रा के अनुरूप ही स्वतन्त्र विष, प्रतिविष और विष-प्रतिविष मिलते हैं।
बोर्डवाद बोर्ड का विश्वास यह रहा है कि प्रतिजनप्रतिद्रव्य संयोग के लिए रसायन शास्त्र के सर्वसाधारण नियमों से कार्य नहीं चल सकता। उसके अनुसार यह प्रतिक्रिया पृष्ट और अन्तःसीमा के श्लेषाभीय अधिचूषण ( colloidal adsorption ) स्वरूप की है। यह वाद भी बहुत दूर नहीं ले जाता क्योंकि इसके द्वारा वैशिष्ट्य (specificity ) के महत्त्वपूर्ण भाव को प्रकट करने का कोई आधार नहीं।
सांपरीक्ष-अवलोकन अब हम संपरीक्षा ( experiments ) के आधार पर विचार करते हैं । जिसके बल पर विविध वादों का जन्म हुआ और विष-प्रतिविष-प्रतिक्रिया को आधार बनाकर जिससे निर्णय लिए गये।
विष और प्रतिविष दोनों को जैविक आधार पर प्रभावित कर लिया जाता है। अहलिक ने अपनी परीक्षाओं में न्यूनतम मारक मात्रा (न्यू. मा. मा.) का उल्लेख करते हुए उस मात्रा को लिया है जो २५० धान्य भार के वण्ट मूष (guinea pig) को उपत्वक्वेध के पश्चात् चार दिन में मार डाले । उसने प्रतिविष के एकक (unit) की परिभाषा करते हुए बतलाया कि जो न्यूनतम मात्रा विष की १०० न्यू. मा. मा. का क्लीबन कर सके वह एक प्रतिविष एकक होगा । किसी विष का प्रमापन करने
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