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विकृतिविज्ञान
रक्तस्राव तीनों मिलते हैं। यह संकट ठोस वा कोष्ठीय दोनों प्रकार का हो सकता है । कोष्टी का आकार बहुत विशाल हो जाता है ।
इसके विस्थाय रक्तधारा द्वारा बना करते हैं और लसग्रन्थकों पर कदाचित् ही कोई प्रभाव पड़ पाता है। ज्यों ही सङ्कट द्रुतवेग से बढ़ने लगता है कि फिर मृत्यु आने में बहुत समय की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती। यदि इसका उच्छेद कर दिया जावे तो इसकी पुनरुत्पत्ति अतिशीघ्र हो जाती है ।
यह नहीं भूलना कि जहाँ कर्कट स्तन का प्रत्याकर्षण करता है वहाँ सङ्कट के कारण स्तन पर्याप्त बढ़ता है और उसका चूचुक आगे की ओर निकल पड़ता है ।
ऊपर जितने अंगों के सङ्कटार्बुदों का वर्णन किया गया है उनके अतिरिक्त अवटुकाग्रन्थि सङ्कट ( sarcoms of the thyroid gland) तथा स्वरयन्त्र सङ्कट ( sarcoma_ of the larynx) और होते हैं । ये दोनों बहुत ही विरलता से कभी कभी ही मिलते हैं । कभी कभी तो अविभिन्नित कर्कट को वैकारिकीविद् भूल से सङ्कट समझ लिया करते हैं। दोनों में तर्कुरूप ( spindle-shaped ) कोशाओं की अधिकता होती है ।
सङ्कटार्बुदों का वर्णन करने के पश्चात् हम योजीऊति के दूसरे दुष्ट अर्बुद पृष्ठमेर्वर्बुद का वर्णन करेंगे ।
पृष्ठ मेर्वर्बुद
( Chordoma )
यह अर्बुद भ्रौण पृष्ठमेरु ( notochord ) के अवशेषों में उत्पन्न होता है । यह बहुत विरलतया होने वाला अर्बुद है । यह मारात्मकता में सौम्य होता है । पृष्ठमेरु के ऊपरी सिरे पर पोषणिकाखात तथा महाछिद्र के बीच में तथा नीचे के सिरे पर त्रिक अनुत्रिकीय क्षेत्र ( sacrococcygeal region ) में उत्पन्न होता है । यह भरमार द्वारा अपना प्रसार करता है और अपनी अन्तिम अवस्था में ही विस्थाय उत्पन्न करने में समर्थ हो पाता है ।
अर्बुद का जब आकार बड़ा हो जाता है तब उसमें प्रत्यास्थ गाढता ( elastic consistence) पाई जाती है साथ ही पारभासक पृष्ठमेरु ऊति के क्षेत्र मिलते हैं जिन्हें रक्तस्रावी सिध्म एक दूसरे से पृथक् करने का यत्न करते हैं ।
ण पृष्ठमेरु से ही पृष्ठवंश या पृष्टमेरु या कशेरुकाओं का निर्माण होता है । यह अर्बुद एक प्रकार का घातक कास्थीय अर्बुद सरीखा होता है । अण्वीक्षण से देखने पर इस अर्बुद में बड़े बड़े स्वच्छ कोशा एक स्थान पर भरे हुए मिलते हैं जिनके बीच में कोई अन्य पदार्थ नहीं होता । कोशा श्लिषीय पदार्थ से फूल जाते हैं इस कारण श्लिषीय कर्कट का भी इसे देखकर भ्रम हो सकता है। कोशारस रसधानीयुक्त ( vacuolated ) होता है यही इसकी बहुत बड़ी विशेषता है ।
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