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अर्बुद प्रकरण
८२७ वातनाडीय तन्त्वर्बुद - वातनाडियों के तन्वर्बुद दो प्रकार के होते हैं-एक जो उपरिष्ठ वातनाडियों में बनते हैं और दूसरे जो गम्भीर वातनाड़ीय स्कन्धों से निकलते हैं। इन अर्बुदों को वातनाडीय तन्त्वर्बुद ( neurofibromata ) कहा जाता है। ___ उपरिष्ठ या उपत्वगीय प्रकार का वातनाडीय तन्त्वर्बुद प्रायः अकेला ही उत्पन्न होता है । इससे एक दृढ तथा बहुधा अत्यधिक स्पर्शशूली ग्रन्थक त्वचा में बनता है। यह अर्बुद वातनाडी की संयोजी ऊति की कंचुक में बनता है। जब त्वचा में बहुत से वातनाडीय तन्त्वर्बुद उत्पन्न हो जाते हैं तब उन्हें रैकलिंगहाउजनामय ( Recklinghausein's disease ) या मृदुतन्तु ( molluscum fibrosum) कहते हैं । इसमें सैकड़ों अर्बुद हो सकते हैं। ये उपत्वगीय वातनाडियों तथा त्वचा के मृदु ग्रन्थकों द्वारा निकलते हैं। वे वैसे गम्भीर वात नाडियों से तथा शीर्षण्या नाडियों से भी उत्पन्न हो सकते हैं। जब इनमें संकटार्बुदीय परिवर्तन हो जाते हैं तभी वे मृत्यु का कारण बनते हैं।
गम्भीर वातनाडियों के वातनाडीय तन्त्वबंद उपत्वगीय तथा गम्भीर वातनाडी दोनों से ही उग सकते हैं। यह पहले प्रकार की अपेक्षा कम पाये जाते हैं परन्तु इसकी महत्ता का कारण है इसमें मारात्मकता की ओर अतिशय प्रवृत्ति का पाया जाना। इस विषय को हमने वातनाडीय संकट या वातनाडीजन्य संकट के अन्तर्गत भली प्रकार बतलाने की चेष्टा की है। पाठकों को वहीं देखना चाहिए। ___ कभी कभी वातनाडीय तन्तुपंज (endoneurium ) की अत्यधिक प्रसरवृद्धि के कारण एक वातनाडीय अर्बुद बन जाता है जिसे प्रतानरूपी वातनाडीय अर्बुद (plexiform neuroma) कहते हैं। यह उपत्वगीय ऊति के अन्दर हुआ करता है। यह कुण्डलीभूत ( coiled ) या स्थूलित वातनाडीयकाण्डों ( nerve trunks ) से बनता है। इन्हें उच्छेदित किया जा सकता है। ये शिर या ग्रीवा में अधिकतर मिलते हैं। । व्रणवस्तुरूपार्बुद (Cheloid or keloid) यह एक वास्तविक अर्बुद नहीं है अपि तु व्रणवस्तु (scar tissue) की अत्यधिक उत्पत्ति का ही नाम व्रणवस्तुरूपार्बुद या कीलाइड दिया जाता है । यह अफ्रीका के हबशियों में प्रायः पाया जाता है, किसी किसी में इसकी एक प्रवृत्ति होती है जिससे व्रणवस्तु का निर्माण कहीं भी हो यह बन जाता है।
पीतार्बुद (Xanthoma ) जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह पीत वर्ण का होता है । इसकी साधारणतः रचना एक तन्त्वर्बुद के समान ही होती है। इसके प्रमुख प्रकार पाये जा सकते हैं :
१. पीतार्बुद सर्वांगीय (xanthoma multiplex ) तथा इसके पीले ग्रन्थक सम्पूर्ण शरीर पर कहीं भी पाये जा सकते हैं। जब शरीर में पैत्तव (cholesterol) की अधिकता हो जाती है तब यह अधिक मिलता है। इस कारण मधुमेह तथा
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