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रुधिर वैकारिकी अब हम आगे रक्तक्षय या पाण्डुरोग का माडर्न वर्गीकरण प्रस्तुत करेंगे।
एनीमिया के माडर्न वर्गीकरण को दो विद्वानों ने दो दृष्टियों से किया है। इनमें एक विएट्रोब है और दूसरा डैविडसन । विण्ट्रोब ने जो वर्गीकरण प्रस्तुत किया है वह रुधिराणुओं की रचनाविकृति की दृष्टि से किया है । डेविडसन ने हेतु का दृष्टिकोण अपने समक्ष रख कर वर्गीकरण किया है। इन दोनों का नामोल्लेख करके हम डैविडसनीय पद्धति का अवलम्बन इस ग्रन्थ में करेंगे जिसके साथ-साथ विण्ट्रोब द्वारा निर्दिष्ट तथ्य भी आ जावेंगे क्योंकि यही सुलभ मार्ग भी है।
डैविडसननिर्दिष्ट रक्तक्षयिक श्रेणीविभाजन १. आहारीय अयोगजन्य
प्राथमिक ! - घातक या मारात्मक रक्तक्षय
अमजकीय रक्तक्षय
ग्रहणी (क) रक्तोत्पत्तिकरतत्वविरहित
सगर्भता आमाशयांशोच्छेद कृमि
उत्तरजात
प्राथमिक
(ख ) रक्तोत्पत्तिकारक द्रव्यों
(लोहताम्र जीवतिग अवटुकासत्वादि) के
अभावजन्य
साधारण अनीरोदीय रक्तक्षय प्लूमर-विन्सन सहलक्षण शैशवीय पोषणिक रक्तक्षयः हरिदुत्कर्ष शैशवीय औदरिक रोग अनशन श्लिषीयशोफ
उत्तरजात
२. अस्थिमजकीय क्रिया का अवसाद (क) प्राथमिक अनभिघट्य रक्तक्षय
{ विकिरण (क्ष-किरणादिक से) (ख) उत्तरजात २ धूपव
। सीसविषता
३. रक्तस्राव
(क) तीन रक्तस्राव
(ख) जीर्ण रक्तस्राव ७५,७६ वि०
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