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विकृतिविज्ञान विसूचिका का एक रूप कालेरा सिक्का ( cholera sicoa ) कहलाता है। इसमें न वमन होता है न अतीसार, पर रोगी तीव्र विषरक्तता से पीडित होकर शीघ्र मर जाता है । अलसक उसी का पर्याय मालूम पड़ता है और जब कालेरा सिक्का का वर्णन विसूची के तुरत बाद है तो विसूची के द्वारा भी प्राचीनों द्वारा कालेरा का ही वर्णन किया गया है इसमें सन्देह की कोई गुञ्जाइश नहीं रहती। गणनाथसेन ने जो अजीर्णोत्थ विसूची को मारक नहीं माना है वह यथार्थ नहीं है। अजीर्ण के ही कारण विसूची दण्डाणु जिस व्यथा को करता है वह विसूचिका या कालेरा है। अन्नविष प्रकरण में जो छर्दि और प्रवाहण दिया है जिसमें वमन और अतिसार होता है वह स्वयं अजीर्ण या अन्नविषता है वह मारक नहीं है।
आमविष चरक ने आमविष के स्पष्ट लक्षण देकर इसे और भी पुष्ट कर दिया हैविरुद्धाध्यशनजीर्णाशनशीलिनः पुनरेवं दोषं आमविषमित्याचक्षते भिषजो विषसदृशलिङ्गत्वात् । तत् परमअसाध्यमाशुकारित्वात् विरुद्धोपक्रमत्वाच्चेति ।
विरुद्धाशन, अध्यशन, अजीर्णाशन के कारण जो आमदोष भयानक रूप धारण करता है वह आमविष कहलाता है, इसमें विष जैसे लक्षण होते हैं वह अतीव असाध्य होता है क्योंकि उसमें उपक्रम विरुद्ध पड़ता है (विष की शीत चिकित्सा आम की उष्ण चिकित्सा होने से ) वह आशुकारी (सद्योमारक ) होता है। आमविष शब्द विषरक्तता ( toxaemia) के लिए प्राचीन तथा उपयुक्त शब्द है ।
विलम्बिका दुष्टं तु युक्तं कफमारुताभ्यां प्रवर्तते नोर्ध्वमधश्च यस्य ।
विलम्बिकां तां भृशदुश्चिकित्स्यामाचक्षते शास्त्रविदः पुराणाः ॥ (सु. उ. तं. ५५ ) कफ और वायु इन दोनों से दूषित हुआ भुक्तान्न न नीचे जाता है और न ऊपर, इसे प्राचीन शास्त्रकारों ने विलम्बिका बतलाया है तथा यह दुश्चिकित्स्य होती है।
अलसक में भी वही होता है अतः चरक ने विलम्बिका नाम से कोई पृथक रोग नहीं दिया । दण्डालसक नाम से जो तन्त्रान्तर में लिखा गया है वह इसी का पर्याय डल्हण मानता है। ___अजीर्ण विसूची अलसकादि में आमदोष प्रधान होने के कारण ही निरामावस्था लाने के लिए अपतर्पणज चिकित्सा का स्पष्ट विधान दिया गया है
आमप्रदोषजानां पुनर्विकाराणामपतर्पणनैवोपरमो भवति । अब हम अग्नि के प्रत्यक्ष विकार से उत्पन्न होने वाले अतिसार ग्रहणी तथा अर्श का वर्णन करेंगे।
अतोसार आर्षग्रन्थों में अतीसार की उत्पत्ति 'गोमांसभक्षण के कारण हुई ऐसा कहा गया है। चरक संहिता में पृषध्र राजा के यज्ञ में गोवध से उत्पत्ति किस प्रकार हुई उसका उपसंहार करते हुए लिखा है
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