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विकृतिविज्ञान कि उन कुटुम्बों की माताएँ जिनमें दुष्टार्बुद अधिक होते हैं, अपने बच्चों को अपना दुग्ध न पिलाया करें।
कुछ लोगों का मत यह भी है कि आघात और बाह्य प्रक्षोभ का स्तनकर्कटोत्पत्ति से गहरा सम्बन्ध है परन्तु यह मत महत्त्वहीन और निःसार है। ____ स्तन कर्कट के अनेक प्रकार ग्रन्थों में वर्णित हैं। इनमें कुछ प्रत्यक्ष के आधार पर हैं, कुछ अण्वीक्षण के कारण हैं और कुछ नैदानिक लक्षणों के अनुसार कहे गये हैं। ब्वायड ने इन सब प्रकारों को पाँच समूहों में विभक्त कर दिया है:
१. अश्मोपम कर्कट ( scirrhus cancer ), २. मज्जकीय कर्कट ( medullary cancer ), ३. ग्रन्थि कर्कट ( adeno carcinoma), ४. प्रणालिकीय कर्कट (duct carcinoma) तथा ५. पैगटामय ( paget's disease)।
कभी-कभी रोग इतना अविभिनित होता है कि उसे उपर्युक्त किसी समूह में नहीं रखा जा सकता और तब उसे अनघटितरूप (anaplastic form) नाम दिया जा सकता है । अब हम सर्वप्रथम उपर्युक्त पाँचों समूहों का वर्णन करेंगे।
१. अश्मोपम कर्कट-यह स्तन में सर्वाधिक होने वाला कर्कट है। यह सदैव स्तन के ऊर्ध्व बार चतुर्थांश में उत्पन्न होता है जिसे हथेली से दबाने से एक बहुत कड़ा पदार्थ सा प्रतीत होता है। यह पहले गम्भीर प्रावरणी या मांसधराकला से अभिलग्न हो जाता है फिर बाद में त्वचा से भी संलग्न हो जाता है। यदि अर्बुद प्रावरणी और त्वचा के बीच में हो तो उसे कुछ समय तक सरलतापूर्वक हिलाया हुलाया जा सकता है। लसीय शोथ के कारण थोड़ा सा गर्तन ( dimpling ) हो जाता है। आगे चल कर चूचुक स्थिर हो जाता है तथा भीतर की ओर खिंच जाता है। यह तब होता है जब बड़ी स्तन प्रणाली आक्रान्त हो जाती है। स्तन छोटा और चिपटा हो जाता है । यह कदापि न भूलना होगा कि आरम्भ काल में शस्त्रसाध्य जब तक रोग रहता है तब तक कर्कट एक कठिन ग्रन्थक जैसा होता है। अतः कर्कटकालीन अवस्था वाली स्त्री के स्तन में ऐसा कड़ा गोला हो तो उसका परीक्षण अविलम्ब किया जाना चाहिए। मज्जकीय कर्कट की अपेक्षा अश्मोपम कर्कट बहुत धीरे-धीरे आता है परन्तु उससे साध्यासाध्यता में कोई अन्तर नहीं आता क्योंकि स्थानिक वृद्धि धीरे-धीरे होने पर भी कर्कट का विप्रथन ( dissemination) शीघ्र होता है।
__ अश्मोपम कर्कट किसी प्रावर में बन्द न होकर अपने प्रवर्द्धन स्तन ऊति में इतस्ततः भेजता रहता है। कोष्ठीय परमचय की अपेक्षा यह वैसे निश्चित रूप से परि. लिखित ( circumscribed ) होता है। इसके कारण एक सुनिश्चित वृद्धि या अर्बुद बनता है। प्रसरावस्था होने पर उसे कोष्ठीय परमचय ( cystic hyperplasia) मानना चाहिए। यह कर्कट बहुत ही कठिन होता है इसी कारण इसे अश्मोपम
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