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अर्बुद प्रकरण
७७३ को मिलता है। एक अवस्था जिसे वक्षत्वगीय कर्कट ( cancer en cuirasse ) कहते हैं वह भी इस लसीय शोफ के द्वारा बनती है न कि त्वचा में कर्कट कोशाओं की भरमार से । प्रावरणीय तथा वितानीय तलों के साथ ही साथ परिफुफ्फुसीय तथा उदरच्छदीय अवकाश भी लसीय प्रसार द्वारा प्रभावित हो जाते हैं। श्वसनिकीय लसग्रन्थकों द्वारा फुफ्फुस भी प्रभावान्वित हो जाता है। यकृत् को वे लसवहा प्रभावित करती हैं जो त्रिककुकुन्दरास्थि सन्धायिनीस्नायु (falciform ligament) को जाती हैं।
रक्तधारा के द्वारा जो प्रसार होता है वह दूरस्थ अंगों को प्रभावित करता है। इसके कारण फुफ्फुस तथा यकृत् में विस्थाय बनते हैं। उसके पश्चात् अधिवृक्क, प्लीहा
और बीज ग्रन्थियों में विस्थाय बना करते हैं। सरक्तमज्जा ( red marrow ) में कर्कट कोशा स्थित रहा करते हैं। इसीलिए कशेरुकाओं, चपटी अस्थियों तथा प्रगण्डास्थि तथा और्वी अस्थियों के समीपान्तों ( proximal ends ) पर विस्थाय मिलते हैं। करोटि एवं कशेरुकाओं में इस कर्कट का विस्तार कशेरुकीय सिरासंस्थान ( set of vertebrsal veins ) द्वारा होता है।।
साध्यासाध्यता स्तन कर्कट साध्यासाध्यता की दृष्टि से उतना ही गम्भीर रोग है जितने कि अन्य कर्कट । एक पीडिता स्त्री इस रोग से अधिक से अधिक तीन वर्ष तक जीती है। रेडियम या अकिरणोपचार से जीवन १० वर्ष तक अधिक से अधिक बढ़ सकता है, वह भी ८५% में । अश्मोपम कर्कट और मजकीय स्तन कर्कट असाध्य होते हैं तथा अन्य कुछ कम दुष्ट होते हैं।
विकिरण विकिरण (radiation ) का प्रभाव भिन्न प्रकार के स्तन कर्कटों पर भिन्न-भिन्न हुआ करता है । सामान्यतः २०% पर अच्छा पड़ता है, २०% पर बिल्कुल नहीं पड़ता तथा ६०% पर मध्यम होता है। यह भूलना नहीं चाहिए कि जो कर्कट जितना ही अधिक विकिरण से प्रभावित होता है उतना ही कोशावान् ( cellular ) वह हुआ करता है तथा जो कर्कट जितना ही अधिक कोशावान् होता है वह उतना ही अधिक घातक भी हुआ करता है । अश्मोपम कर्कट बहुत अधिक विकिरण-प्रतिरोधी होता है। मजकीय पर विकिरण का प्रभाव खूब पड़ता है। ग्रन्थिकर्कट तथा प्रणालिकीय कर्कटों पर भी विकिरण का प्रभाव पर्याप्त पड़ जाता है। त्वरित उत्पन्न होने वाले अनघटित रूप वाले कर्कट विकिरण के द्वारा पर्याप्त प्रभावित होने पर भी उनमें असाध्यता ही अधिक होती है।
पुरुषस्तनीय कर्कट यह बहुत ही कम पाया जाता है । फिर भी १ प्रतिशत स्तन कर्कट पुरुषों में देखे जाते हैं। ५० वर्ष की आयु के ऊपर यह होता है वैसे ३० वर्ष तक के व्यक्तियों में भी यह मिल सकता है। यद्यपि स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में स्तनकर्कट की गति बहुत मन्थर होती है फिर भी यह त्वचा में उनकी अपेक्षा शीघ्र व्रणन कर देता है उसका
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