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अर्बुद प्रकरण
८०१ इस प्रकार अधिच्छदीय अर्बुदों का वर्णन यथावश्यक करके अब हम संयोजी उति के अर्बुदों पर आते हैं।
(२) संयोजी-ऊति के अर्बुद
(Connective-tissue tumours ) (क) दुष्ट अर्बुद ।
इस विभाग में दो प्रकार के अर्बुद सम्मिलित किए जाते हैं जिनमें एक सङ्कटाबंद है और दूसरा पृष्ठमेवर्बुद है।
संकटाधुंद
(Sarcoma) अंगरेजी का सार्कोमा शब्द ग्रीक शब्द सार्क्स या सार्क से बनता है जिसका अर्थ मांस होता है तथा ओमा अर्बुद के लिए व्यवहृत किया जाता है । इस प्रकार सार्कोमा को मांसार्बद शब्द से व्यक्त कर सकते हैं। परन्तु सार्कोमा मांस मात्र का अर्बुद हो ऐसा नहीं है। वह तो तान्तव ऊति, मेदस ऊति, अस्थि, बस्ति, यकृत् , फुफ्फुस, कर्णमूल ग्रन्थियाँ, प्लीहा, वृक्कादि किसी भी अंग में और ऊति में देखा जा सकता है। लखनऊ में काशी के मान्य विद्वान् डा० घाणेकर महोदय से वार्ता हुई थी। उन्होंने कहा था कि सार्कोमा को मांसावुद और मायोमा को पेश्यर्बुद करके लिखो। परन्तु मांसार्बुद और पेश्यर्बुद इन दो नामों से दो विभिन्न विषयों का समावेश ठीक नहीं लगा। इधर दुष्ट, चण्ड और मारात्मक शब्दों का प्रयोग मैलिग्नेण्ट अर्बुदों के लिए पहले से ही प्रयुक्त था अतः 'कर्कट' कैंसर के लिए और 'संकट' सार्कोमा के लिए युक्तियुक्त मान कर प्रयोग करना आरम्भ किया है।
संकटार्बुद का प्रयोग पहले जितने व्यापक क्षेत्र में होता था आज उसकी वह स्थिति नहीं रह गई। पहले समय में कुछ ऐसे अनेक अर्बुदों को संकटार्बुद कह कर पुकारा जाता था जो संयोजी ऊति के अर्बुद नहीं ये। क्योंकि संकटार्बुद एक संयोजी उति का अर्बुद है अतः लस्यसंकटार्बुद (lymphosarcoma ). कालिसंकटार्बुद ( malanotic sarcoma ), या पेश्यसंकटार्बुद ( myosarcoma ) आदि शब्द आज व्यर्थ हो गये हैं।
जीर्णव्रणशोथात्मक अवस्थाएँ जो आज कणार्बुद (granulomas) कहलाती हैं, पहले भी सङ्कटावुद के मत्थे मढ़ी जाती रही हैं। इसी प्रकार रूप में बहुत कुछ मिलने के कारण अनघट्य कर्कट ( anaplastic cancer ) को भी संकटार्बुद कह दिया जाता था और इनमें वृषण कर्कट, बीजग्रन्थि कर्कट अथवा अवटुकाग्रन्थि कर्कट आते थे। ये सब भी आज संकटार्बुद से कोई पास या दूर का सम्बन्ध नहीं रखते । इतना सब होने पर भी अनघट्यकर्कटों, कणार्बुदों तथा सङ्कटार्बुदों के अण्वीक्षण से प्राप्त चित्र में कोई महत्त्व का भेद ढूंढ़ निकालना बहुत कठिन पड़ता है क्योंकि
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