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विकृतिविज्ञान ८-अन्त्रस्थ अङ्कुरार्बुद ( Papilloma of Intestines )
वैसे तो अंकुरार्बुद अन्त्र के किसी भी भाग में प्रकट हो सकता है परन्तु साधारण तया मलाशय (rectum ) अथवा स्थूलान्त्र उसका प्रिय स्थल है। यहाँ पर अनेक अंकुरार्बुद बनते हैं और उगते हैं जिनके कारण अनेक अर्श (polyps ) श्लेष्मल कला में दिखाई देते हैं। इस अवस्था को अन्त्र की अंकुरीयोत्कर्षता या अत्किर्षता (poly. posis) कहते हैं। बायड इस रोग को सहज मानता है। मलाशयस्थ अंकुरार्बुद या ग्रन्थ्यर्बुद सदैव पूर्व कर्कटिक ( precancerous ) हुआ करते हैं। यहाँ अंकुराबंद की रचना प्रन्थिक (glandular ) होती है और उससे ग्रन्थिकर्कट का उदय हुआ करता है। अंकुरार्बुद से कर्कट में परिणति कभी कभी बहुत द्रुत गति से हुआ करती है । पहले एक अंकुरार्बुद प्रभावित होता है फिर दूसरा ।
यह अर्बुद बहुत ही कम होने वाला है तथा बड़ों में ही देखा जाता है। इसके कारण अत्यधिक रक्तस्राव हुआ करता है। देखने से यह अंकुरीभूत ( papilliferous ) विनाल, लाल पुंज होता है जो मलाशय की बहुत सी प्राचीर को घेरे रहता है। इसे देख कर कर्कट का भ्रम हो सकता है। यही भ्रम आगे चलकर सत्य बन जाता है। इस रोग के साथ साथ स्थूलान्त्र (colon) में प्रसर ग्रन्थ्यर्बुद भी मिलते हैं। अत्यधिक रक्तस्त्राव वा रक्तातीसार इसका प्रधान लक्षण होता है।
-शीर्षस्थ अङ्करार्बुद ( Papilloma of the Scalp )
शीर्ष पर जब कभी अंकुरार्बुद बनता है तो वह एक शृंग (सींग) का रूप धारण करता है । यह एक कठिन चर्मकील होता है । १०-स्तनस्थ प्रणालिकीय अङ्गुरार्बुद (Duct Papilloma of the Breast)
इस अवस्था को ग्रन्थिकोष्ठार्बुद (adenocystoma), अंकुरीय कोष्ठार्बुद (papillary oystoma), अन्तर्कोष्ठीय अंकुरार्बुद ( intracystic papilloma) आदि नामों से विभूषित किया जाता है। चूचुक के समीपवर्ती क्षेत्र की किसी विस्फारित स्तन्यप्रणाली के भीतर अंकुरार्बुद उत्पन्न होना आरम्भ करता है। छोटी मकोय जैसी इसकी आकृति पहले देखी जाती है जिस पर अंकुर उठे रहते हैं। बाद में ये अंकुर और पर्त एक होकर तल चिकना हो जाता है और अर्बुद एक ठोस रूप धारण कर लेता है। ___ अण्वीक्षण पर इस अर्बुद में असंख्य अंकुर ( villi ) देखे जाते हैं जिन पर अधिच्छद चढ़ा होता है परन्तु जब अर्बुद बढ़ता है तो अंकुर सब एक दूसरे से चिपक जाते हैं और ग्रन्थि के समान उसमें अवकाश हो जाते हैं। इसी कारण इसे ग्रन्थीय या कोष्ठीय कई नामों से स्मरण किया जाता है। इसमें रक्तवाहिनियाँ अनेक होती हैं। उनकी प्राचीरे बहुत पतली होती हैं इस कारण उनसे रक्तस्राव होता रहता है । इसी
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