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अर्बुद प्रकरण
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बीजकोषों की उत्तेजना का प्रभाव भी कर्कटोत्पत्तिकारक हो सकता है । इसका प्रयोग करने के लिए बीजकोपन्यासर्ग का अन्तःक्षेपण करना पड़ता है या बीजकोषों का उच्छेद करना पड़ता है । लैकासैग्ने का कथन है कि खीमदि (oestrin ) का अन्तःक्षेपण करने से चूहों ( नर या मादा ) में स्तनकर्कटोत्पत्ति की जा सकती है। इसमें पहले अधिच्छदीय परमपुष्टि, प्रणालिकाओं का विस्फारण, कोष्ठों का निर्माण, अंकुरीय प्रवर्द्धनों की उत्पत्ति और गोलकोशीय भरमार होती है । इसी प्रकार जिन वर्ग के चूहों में स्तनकर्कटोत्पत्ति अधिक होती है उनके शैशवावस्था में ही बीजकोष निकाल दिये जायें तो निष्क्रिय स्तनों में कर्कटोत्पत्ति रुक जाती है । इससे प्रकट है कि स्त्रीमदि कर्कटजनक पदार्थ है । इसका दोष बीजकोष में स्वयं है ऐसा नह अपि तु वह अन्य प्रणालीहीन ग्रन्थियों से सम्बन्ध रखता है । क्योंकि यह कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं कि जिन चूहों में स्तन कर्कट अधिक बनते हैं वे अधिक स्त्रीमदि उत्पादनकर्त्ता होते हैं । ऐसा कहा जाता है कि अधिवृक्क बाह्यक कर्कटोत्पत्ति में सहायता करता है जब कि अग्रपोषणिका ( anterior pituitary ) उसका विरोध करता है । स्तनकर्कट से पीड़ित जीवों में ग्रीस तथा अन्य विद्वानों ने अधिवृक्क बाह्यक की परमपुष्टि की साक्षी दी है। इससे सिद्ध है कि बीजकोषों की उत्तेजना से कर्कटोत्पत्ति में सहायता मिलती है तथा उत्तेजना और कर्कटोत्पत्ति में अन्य प्रणालीहीन ग्रन्थियों का भी हाथ है।
कर्कटोत्पत्ति में कुलज प्रवृत्ति कोई महत्व नहीं रखती ऐसा मत हम ऊपर दे चुके हैं। इसी सम्बन्ध में बिटनर का मत भी बहुत महत्वपूर्ण है । उसका कहना है कि पित्र्यसूत्रातिरिक्त ( extra chromosomal ) प्रभाव मातृदुग्ध में प्रवाहित होता रहता है । यदि अत्यधिक स्तनकर्कटोत्पादक वर्ग के शिशु को ऐसे वर्ग की माता का दुग्ध पिलाया जाय जिसे स्तनकर्कटोत्पत्ति अत्यल्प होती हो तो वह शिशु बड़ा होने पर स्तनकर्कट से विरहित हो जाता है । यह प्रयोग यह सिद्ध करता है कि मातृदुग्ध में स्तनकर्कटकारक कोई तत्व अवश्य प्रवाहित होता है। कभी भी बटनर के उपर्युक्त सत्य का पूर्णरूपेण परीक्षण नहीं हो पाया । पर यदि यह सिद्ध हो गया तो अनेक अन्य रहस्यों का भी समय रहते उद्घाटन हो सकेगा । बिटनर ने तो स्तनकर्कटोत्पादकतत्व को मातृदुग्ध से निकाल भी लिया है । और जब उसने इस तत्व को उन प्राणियों को सेवन कराया जिनमें स्तनकर्कट १% ही होता था तो इसके सेवन से उनमें यह घटना ६७% पाई गई। कोई कर्कटजनक विषाणु ( virus ) उसने खोज निकाला जो पाव्य ( filterable ) है । उड और डार्लिंग ने एक ऐसे कुटुम्ब का वर्णन किया है जिसमें चार पीढ़ी तक स्तनकर्कट मिला। तीसरी पीढ़ी में तीन बहनों को स्तनकर्कट मिला । यह स्तन कर्कट उन्हीं स्त्रियों में हुआ जिन्होंने अपनी माताओं का स्तनपान किया था । यह घटना बिटनर के सत्य का एक और प्रमाण है । इसी आधार पर यह कहा जा रहा है
इससे ज्ञात होता है कि
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