________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अर्बुद प्रकरण
७३६ सर्वकिण्वि प्रणाली के मुख खुलते हैं। इस भाग को वाटर की कलसिका ( Vater's ampulla ) कहते हैं।
प्रायः स्तम्भाकार कोशीय कर्कट यहाँ बना करता है। इस कर्कट के बनने का विशिष्ट स्थान होने से ग्रहणी का अवरोध होने के साथ-साथ पित्तप्रणालीय तथा सर्वकिण्वि प्रणालीय अवरोध भी हो जा सकता है।
कभी-कभी सर्वकिण्वीशीर्ष के कर्कट को देख कर ग्रहणी कर्कट का भ्रम हो सकता है।
-आन्त्र कर्कट ( Carcinoma of the Intestines ) क्षुद्रान्त में कर्कट बहुत कम होता है । स्थूलान्त्र में मलाशय, उण्डुक तथा श्रोणिस्थ स्थूलान्त्र ( pelvic colon ) में कर्कट बहुधा हुआ करता है। स्थूलान्त्र में जितने कर्कट होते हैं उसके दो-तिहाई मलाशय में पाये जाते हैं। स्त्रियों में स्थूलान्त्र के कर्कट और पुरुषों में मलाशय कर्कट बहुत करके मिलते हैं। प्रायशः महास्रोत में पाये जाने वाले कर्कट पुरुषों में स्त्रियों की अपेक्षा अधिक पाये जाते हैं। स्त्रियों में कभी-कभी तो आन्त्रकर्कट तारुण्यकाल में ही देखे जा सकते हैं। आन्त्रकर्कटों के लिए रोगी की आयु का कोई खास सम्बन्ध बहुत कम दिखता है इसलिए वे कभी भी उत्पन्न हो जाते हैं। ___ आन्त्र कर्कट दो प्रकार से उत्पन्न होता है। एक तो वह आन्त्र के सुषिरक में गोभी के फूल के आकार का बन कर बढ़ने लगता है और कुछ समय वाद व्रणित हो जाता है। दूसरे वह आन्त्र प्राचीर में धंस कर भरमार कर देता है और आन्त्र के एक खण्ड में बढ़कर निरोधोत्कर्ष ( stenosis) उत्पन्न कर देता है। इस निरोध के ऊपरी भाग में आन्त्र में विस्फार हो जाता है और वह भाग मोटा पड़ जाता है। निरोध का निचला आन्त्र भाग सिकुड़ जाता है तथा अवपतित ( collapsed ) हो जाता है। इस निरोध के समीपतम (proximal ) भाग में मल की गाँठे बन जाती हैं जो अपनी कठिनता के कारण व्रण बना देती हैं। इन व्रणों में जब तान्तव संधार सिकुड़ता है तो ऐसा मालूम पड़ने लगता है मानो एक पट्टी से आन्त्र का एक भाग कस कर बाँध दिया गया हो। गोभी पुष्प के समान कर्कट में श्लेषाभ विहास हो जाता है जिससे बृहदन्त्र श्लेषाभ कर्कट का एक मुख्य स्थल माना जाता है।
अण्वीक्षण पर आन्त्र कर्कट ग्रन्थि कर्कट जैसा लगता है । गोभी पुष्प रूपी कर्कट अन्तर्भरित कर्कट की अपेक्षा अधिक विभिन्नित होता है और उसमें अच्छा घना संधार बनता है। ___आन्त्र कर्कट का विस्तार बहुत मन्दगति से हुआ करता है। मलाशय कर्कट खास तौर पर बहुत धीरे-धीरे फैलता है। कर्कट की वृद्धि सुषिरक की ओर तथा आन्त्र के
For Private and Personal Use Only