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अर्बुद प्रकरण
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नीले हो जाते हैं । वहाँ विभजनाङ्क नहीं मिलते एक ही विद्वधि में कभी-कभी शल्कीय तथा पैठिक ( basal ) दोनों प्रकार की आकृतियाँ मिली हुई देखी जाती हैं ।
अर्बुदोत्पत्ति के सम्बन्ध में कुछ मत वैभिन्य पाया जाता है इस कारण विद्रधि को पैठिक कोशीय कहने से यही अर्थ लगाना चाहिए कि विद्रधिकोशा पैठिककोशीय के लक्षणों को बराबर बनाए रहता है । इस विधि की उत्पत्ति के ३ सम्भाव्य स्थल हो सकते हैं : अधिचर्म के पैठिक कोशा, केशकूपिका ( hair follicles ) तथा अधिचर्म से विस्थानीभूत ( misplaced ) कोशासमूह । किसी कृन्तक विद्रधि की उत्पत्ति कहीं से होती है और किसी की कहीं से । यह एक मत है कि मुख के खण विदारों ( embryonal fissures ) की रेखा में ये उत्पन्न होते हैं यह विस्थानीभूत कोशासमूह वाली उत्पत्ति का समर्थन ही है ।
ब्रुकार्बुद ( Brook's tumour ) — शुल्ककोशीय कर्कट का एक प्रकार कार्बुद होता है | यह प्रकार बहुत कम पाया जाता है इसकी महत्ता का कारण, दौष्ट्य में अन्य अर्बुदों की अपेक्षा कमी माना जाता है । यह कृन्तक विद्रधि के काल से बहुत पूर्व उत्पन्न होता है । यह चमड़ी पर एक ढेर सरीखा विक्षत बना लेता है । इसमें अधिच्छदीय पदार्थ होता है जो कुछ ग्रन्थीक (glandular ) और कुछ कोष्ठीय (cystic ) होता है। दोनों प्रकार की रचनाओं के कारण ही इसका आधुनिक नाम ग्रन्ध्याभ कोष्ठीय अधिच्छदार्बुद ( adenoid cystic epithelioma ) डाला गया है। इसमें कोशा या तो शल्कीय होते हैं या पैठिक । कोष्ठों ( cysts ) की उपस्थिति इस अर्बुद की विशेषता होती है । यह अर्बुद बहुत ही कम पाया जाता है इसे सदैव ध्यान में रखना चाहिए ।
प्रस्वेद ग्रन्थियों के अर्बुद - - साधारण कोष्ठीय अधिच्छदार्बुदों से मिलते-जुलते प्रस्वेद ग्रन्थियों के अर्बुद हुआ करते हैं । ये अर्बुद किसी अवकाशिका से निकल कर ग्रन्थ्यार्बुद भी बन सकते हैं और इनका योग्य नाम कुण्डलिग्रन्थ्यार्बुद (spiradenoma ) हो सकता है और अण्वीक्षण पर इसमें चतुष्कोणाभ कोशाओं के स्पष्टतया परिलिखित पुंज मिल सकते हैं । ये अर्बुद बहुधा सिर में निकलते हैं और कई-कई होते हैं सिर में होने से इन्हें उष्णीषकार्बुद ( turban tumour ) भी कह दिया जाता है । प्रस्वेद ग्रन्थियों की प्रणालिकाएँ फैल कर कोष्ठों का निर्माण करती हैं । ये सभी साधारण या अदुष्ट अर्बुद बनते हैं पर जब कभी इनमें ग्रन्थिकर्कट बनता भी है तो वह अल्पदुष्ट होता है ।
लसीकाधिच्छदार्बुद ( Lympho epithelioma ) - यह एक प्रकार का कर्कट है जो मुख और ग्रसनी पर छाये हुए अधिच्छद द्वारा तैयार होता है इसी कारण तुण्डिकाग्रन्थियाँ, ग्रसनीप्राचीरों, नासामार्गों, नासाग्रसनी - कोटरों में जहाँ अधिच्छद साधारण से अन्तवर्ती रूप लेता है वहाँ यह कर्कट बन सकता है । इस कर्कट की प्रमुख पहचान यह है कि यह स्वयं तो बहुत लघुरूप का होता है यहाँ तक कि इसका पता लगना कठिन हो जाता है परन्तु यह समीपवर्ती ग्रन्थियों
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