________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७०७
अर्बुद प्रकरण कर्कट या कर्कटार्बुद
( Caneer or carcinoma.) कर्कट एक प्रकार का दुष्ट अर्बद होता है जो अधिच्छदीय रचनाओं में बनता है, जिसके कोशा अधिच्छदीय होते हैं जो संयोजी ऊति के संधार में निहित रहते हैं । कर्कट प्रावर विहीन होता है तथा समीप की स्वस्थ ऊतियों में यह इस प्रकार घुसा हुआ रहता है कि कर्कट तथा स्वस्थ ऊतियों के बीच में रेखा नहीं खींची जा सकती। कर्कट सदैव संयोजी ऊतियों के चारों ओर के लसावकाशों (lymph spaces ) पर आक्रमण करता है । कर्कट के कोशाओं का विन्यास अधिच्छदीय होता है। कोशा समूहों या अवकाशिकाओं (alveoli ) में रहते हैं। प्रत्येक कोशासमूह या अवकाशिका के चारों ओर संयोजी ऊति रहती है। संधार की मात्रा सदैव एक बराबर नहीं रहती तथा उसकी मात्रा के द्वारा अर्बुद का भौतिकीय स्वरूप निर्धारित किया जाता है। प्राथमिक कर्कट का छेद देखने से ज्ञात होता है कि मानों वह अनेक पृथक् पुंजों के द्वारा बना हुआ हो। ये पुंज केन्द्रिय पुञ्ज के बढ़े हुए भाग होते हैं जो अनेकता का एक भ्रामक चित्र उपस्थित करते हैं। कर्कट का संधार आरम्भ में उस भाग में स्थित संयोजी ऊति के द्वारा ही बनता है परन्तु कर्कट के कारण समीपस्थ स्वस्थ उतियों में व्रणशोथ उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण कर्कट के किनारों पर गोल कोशाओं की भरमार हो जाती है और संयोजी ऊति के प्रक्षोभात्मक परमघटन के कारण तान्तव ऊति उत्पन्न होने लगती है। आरम्भ में जब अर्बुद बनना आरम्भ करता है तब उसमें संयोजी ऊति के साथ-साथ अन्य ऊतियों के भाग भी वृद्धि करते हैं जैसे वक्ष कर्कट में स्नेहकोशाओं की या पुरःस्थकर्कट में पेशीसूत्रों की वृद्धि देखी जाती है परन्तु आगे चल कर ज्यों-ज्यों अर्बुद बढ़ता चलता है वे तिरोहित होते चले जाते हैं।
कर्कट की रचना कर्कट के निर्माण में कोशा अधिच्छदीय होते हैं तथा संधार संयोजीऊति का बना होता है इतना हमें पहले से ही ज्ञात है। कर्कट के अधिच्छदीय कोशाओं में निम्न विशेषताएँ मिलती हैं:
(१) अधिच्छदीय कोशाओं का आकार बड़ा होता है।
(२) मूल अधिच्छदीय ऊति की तुलना में इन कोशाओं में विभिन्नन का अभाव पाया जाता है।
(३) ये कोशा मूल उति के कोशाओं की अपेक्षा बहुत अनियमित (irregular) होते हैं।
(४) इन कोशाओं में न्यष्टि अधिक बड़ी तथा स्पष्ट (prominent) होती है । न्यष्टियाँ गोल, अण्डाकार, तर्काकार, बहुभुजीय या पुच्छीय ( caudate) होती हैं। इनमें एक या दो निन्यष्टियाँ (nucleoli ) रहती हैं। एक कोशा में
For Private and Personal Use Only