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विकृतिविज्ञान
मिकास्थ कोशाओं का प्रभवस्थल
जालकान्तश्छदीय कोशाओं के एकीकरण ( fusion ) के द्वारा महाकोशा ( giant cells ) बनते हैं । उनकी न्यष्टियाँ परिणाह की ओर पड़ी रहती हैं। इनका निर्माण उस समय तक नहीं होता जब तक शरीर में ऊतिमृत्यु (tissue necrcsis) न हुई हो। ये गति ऊति और यक्ष्मादण्डाणुओं का भक्षण करते चलते हैं । एक महाकोशा में ३ से लेकर ६० तक न्यष्टियाँ पाई जाती हैं । विभजन काल ( mitosis ) के समय ये यष्टियाँ उपस्थित नहीं होतीं तथा प्रायशः वे विवासित होती हैं जो यह बतलाती हैं कि एक ही न्यष्टि के निरन्तर विभजन से वे न बनकर कई कोशाओं के एकीकरण से बनती हैं। ये न्यष्टियाँ कोशा के परिणाह भाग में क्यों अवस्थित होती हैं उसके दो कारण सम्भवतः हो सकते हैं । एक तो यह कि कोशा का बाह्य भाग अधिक पोषण प्राप्त करता रहता है इसलिए न्यष्टियाँ परिणाही भाग में रहती हैं । दूसरा यह कि जब एक महाकोशा किसी ऊति के समीप उसका भक्षण करने जाता है तो उसका प्ररस ( cytoplasm ) तुरत निकल कर ऊति के प्ररस से क्योंकि प्ररस अमीबाभ ( amoeboid ) गति करता है तथा न्यष्टियाँ गतिविहीन ( motionless ) होने के कारण प्ररस के एक किनारे पर पड़ी रहती हैं। दोनों मतों दूसरा अधिक समझ में आता है I
समरस हो जाता है
में
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अधिच्छदाम या जालाकान्तश्छदीय कोशा जो यक्ष्मोपसर्ग की प्रमुख घटना है उनका निर्माण कई प्रकार के कोशाओं से मिलकर होता है । उनका कुछ अंश तो भ्रमणशील प्रोति कोशाओं ( wandering histiocytes ) द्वारा बनता है । कुछ लसीकोशाओं से तैयार होता है तथा अधिकांश उस अंग के जालकान्तश्छदीय संस्थान के परमचय ( अतिघन ) से बनता है और अतिघटन का कारण उस अंग का प्रक्षुब्ध हो जाना है । साबिन तथा डोन यह प्रकट कर चुके हैं कि यक्ष्मादण्डाणु के जो दो अंश होते हैं। उनमें स्नैहिक घटकों वाला अंश जालकान्तश्छदीय कोशाओं का प्रगुणन द्रुतगति से करता है तथा प्रोभूजिनांशिक घटक विशुद्ध विषाक्त प्रभाव डालता है । यह स्मरण रखना होगा कि यक्ष्मा एक लसीक ऊति ( lymphatic tissue ) का रोग है तथा इससे रक्षा तथा रोग की प्रति प्रतीकारिता शक्ति उन्हीं भक्षिकोशाओं द्वारा होती है जो लसीकरचनाओं से उत्पन्न होते हैं ।
मिकाओं के परिवर्तन
एक यक्ष्मनाभि ( tuberculous foci ) या यदिमका में आगे चल कर निम्न विशिष्ट परिवर्तन देखने को मिलते हैं :
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( १ ) किलाटीयन ( caseation )
( २ ) तन्तूत्कर्ष ( fibrosis )
( ३ ) चूर्णियन ( calcification )
( ४ ) वाहिन्य परिवर्तन ( vascular change )
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