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फिरङ्ग
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जैसी हो जाती है । इसका धरातल ममृण (smooth) तथा पाण्डर होता है या कामला होने पर आहरित भी हो जाता है।
नवजात सहजफिरंगी शिशुओं में 'श्वेत श्वसनक' ( white pneumonia) नामक एक रोग होता है जो वास्तव में श्वसनक तो इसलिए नहीं होता क्योंकि उसमें व्रणशोथात्मक संपिंडन (inflammatory consolidation ) नहीं देखा जाता। इससे पीडित बालक या तो मृत ही जन्म लेते हैं या थोड़े काल पश्चात् मर जाते हैं । इसमें फुफ्फुस वायुशून्य तथा आश्वेत धूसर होता है वह तान्तवऊति द्वारा बनता है जिसमें इतस्ततः घन अधिच्छद ( cubical epithelium ) से आस्तरित विस्फारित अवकाश बने रहते हैं जिनमें अति कृन्तक ( histioclytic) कोशा रहते हैं। इनमें सुकुन्तलाणु खूब देखे जाते हैं।
डाक्टर घाणेकर ने लक्षणों का वर्णन करते हुए बतलाया है कि कालक्रमानुसार सहजफिरंग के ३ विभाग कर सकते हैं:
१-क्षीरपावस्थिक या शैशवीय, २-वर्धमानावस्थिक, ३-उत्तरकालीन । इनमें क्षीरपावस्थिक या शैशवीय सहजफिरंग में निम्न लक्षण देखने को मिलते हैं:
(१) बालक देखने में छोटा, नाटा, सूखा, दुबला, रोगी, बुढ्ढे या बन्दर के समान देखा जाता है।
(२) उसकी त्वचा कागजी सलवटदार, निर्जीव और धूसर वर्ण की होती है। उस पर कहीं-कहीं नीलिमा देखी जा सकती है।
(३) मुख पर तथा शाखाओं में सूजन हो सकती है। (४) पेट बढ़ा हुआ और आगे निकला हुआ होता है।
(५) त्वचा पर आभ्यन्तरफिरंगावस्था (द्वितीयावस्या) के समान मांसवर्ण स्फोट उत्पन्न हो सकते हैं। उनसे आर्द्रता के कारण स्राव निकलता है, पाणिपादतल पर बड़े सपूय विस्फोट देखे जा सकते हैं।
(६) मुख के कोणों पर विचर्चिका के समान विदार या रेखाएँ मिल सकती हैं, व्रण भर जाने पर भी उनके निशान बने रहते हैं।
(७) मुख या गुद के समीप अर्श ( condylomata ) देखे जा सकते हैं। (८) सिर के बाल झड़ जाते हैं।
(९) नखों के तल और चारों ओर शोथ होकर फिरंगी चिप्प ( onychia) हो जाता है जिससे स्राव भी निकलता है। कुछ नख मोटे हो जाते हैं और उनकी पारदर्शता समाप्त हो जाती है। कभी-कभी नख सब या थोड़े गिर भी जाते हैं।
(१०) मुख, ग्रसनी, स्वरयन्त्र, नासा आदि की श्लेष्मकलाओं में व्रणोत्पत्ति हो जाती है जिसके कारण स्वर बैठ जाता है शिशु ठीक से रो नहीं सकता, नासागत विस्फोटों से स्राव होने लगता है, स्त्राव पहले पतला फिर गाढ़ा होता है जिसके सूखने से पपडी जम जाती है जिसके कारण श्वास-प्रश्वास क्रिया में बाधा पड़ती है इसी को नासाप्रसेक ( snuffles ) कहते हैं। इससे स्तनपान करने में भी बाधा पड़ जाती है।
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