________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
६१८
विकृतिविज्ञान
(१४)
आमाशय और फिरंग बहुत समय तक आमाशय की फिरंग बहुत ही कम होने वाला रोग माना जाता रहा है परन्तु आधुनिक साहित्य में इस सम्बन्ध में बहुत कुछ मिलने लगा है। परन्तु अब भी आमाशय की फिरंग के बहुत थोड़े रोगी मिलते हैं। आमाशय व्रण फिरंग से पीडित में हो सकता है पर वह व्रण फिरंगिक हो यह आवश्यक नहीं। साधारण आमाशयव्रण (peptic ulcer ) अण्वीक्षण पर फिरंगिक विक्षत से मिलता जुलता हो सकता है पर वह फिरंग से सर्वथा दूर वस्तु है। टर्नबल का कथन है कि फिरंग में जैसे प्ररसकोशा लसीकोशा और उपसि प्रियकोशाओं की भरमार देखी जाती है, जैसे धमन्यन्तश्छदपाक होता है, अथवा महाकोशा बनते हैं वैसा ही एक साधारण आमाशयव्रण में भी मिल सकता है। इसका अर्थ यह है कि अण्वीक्ष चित्र मात्र ही फिरंग का पुष्ट प्रमाण नहीं है। पुष्ट प्रमाण यदि कोई है तो वह है सुकुन्तलाणुओं की व्रण में उपस्थिति । पर मुखस्थ कुन्तलाणु भी आमाशय में पहुँच सकते हैं और वहाँ पर उत्पन्न कर्कट में या व्रण में देखे जा सकते हैं अतः सिंगर की दृष्टि में यह भी कोई प्रमाण विशेष महत्त्व का नहीं है। इस विद्वान् ने अनेक ऐसे चित्र प्रस्तुत किए हैं जिनमें व्रण कुन्तलाणुओं से भरे हुए हैं पर वे सुकुन्तलाणु (spirochaeta pallida) नहीं। हैरिस तथा मौर्गन ने अवश्य एक ऐसे रोगी का वर्णन किया है जिसके आमाशय में सुकुन्तलाणु ही थे जो समीपस्थ लसग्रन्थिकाओं में भी उपस्थित थे और उनके द्वारा उपसृष्ट शशकों में भी वे फिरंग उत्पन्न करने में समर्थ हुए और उनके विक्षतों से असंख्य सुकुन्तलाणु प्रकट कर सके। यही एक उदाहरण निस्सन्देह आमाशयिक फिरंग का पुष्टि कर्ता है।
ब्वायड ने लिखा है कि यह रोग बहुत कम होता है। लन्दन आतुरालय में १३००० शवपरीक्षणों में टर्नबुल एक भी आमाशयिक फिरंग का रोगी नहीं पा सका। तथा बैलेव आतरालय के ४८८० शवों की परीक्षाओं में ३१६ फिरंग के सिद्ध हुए उनमें भी केवल एक आमाशयिक फिरंग का रोगी मिल सका।
(१५) अवटुकाग्रन्थि पर फिरंग का प्रभाव अवटुकाग्रन्थि ( thyroid gland ) पर आभ्यन्तरफिरंग का परिणाम यह होता है कि उसका आकार बढ़ जाता है। बहिरन्तर्भवफिरंग के कारण फिरंगार्बुदिका उत्पन्न होती हुई बहुत ही कम देखी जाती है ।
(१६)
हृदय और फिरंग हार्दिक फिरंग बहुत कम होने वाला रोग है। फिरंगिक हृत्पेशीपाक सहस्रों
For Private and Personal Use Only