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विकृतिविज्ञान
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१० प्रमीलक ११ कटिशूल १२ बस्तिशूल
६ मूर्छा ७ अस्वेद ८ शल
९ श्वास यह सत्य है कि चरकोक्त लक्षों में भालुकि पिपासा के साथ और भावमिश्र तन्द्रा के साथ मेल खाता है अन्यथा उसके किसी लक्षण के साथ इन दोनों के लक्षणों का मेल नहीं बैठता। वातकफोल्वणसन्निपात में चरक ने ८, भालुकि ने १२ और भावमिश्र ने ९ लक्षणों का समावेश किया है । ज्वर, प्यास, क्षुधा, पावनिग्रह इन चार लक्षणों के अतिरिक्त दोनों ने अपना स्वतन्त्र वक्तव्य दिया है । मकरी अतिदारुण सन्निपात है तथा शीघ्रकारी असाध्य ऐसा इन आचार्यों के मत में है।
पित्तकफोल्बण सन्निपात इसे भालुकितन्त्रकार ने फल्गु नाम दिया है जब कि भावप्रकाशकार इसे भल्लु कहते हैं । इसकी तालिका नीचे दी जाती है:चरक भालुकि
भावमिश्र १ वमन २ शैत्य १ बहिःशीत
१ बहिःशीत ३ मुहुर्दाह २ अन्तर्दाह
२ अन्तर्दाह ४ तृष्णा ३ तृष्णा
३ तृष्णा ५ मोह ६ अस्थिशूल ४ तन्द्रा
४ दक्षिणपार्श्वतोद ५ दक्षिणपार्श्वतोद ५ उरोग्रह ६ उरोग्रह
६ शिरोग्रह ७ शिरोग्रह
७ गलग्रह ८ गलग्रह
८ कफपित्तनिष्ठीवन ९ कफपित्तनिष्ठीवन १० कण्डू ११ विड्भेद
९ विड्भेद १२ श्वास
१० श्वास १३ हिक्का
११ हिक्का १४ प्रमीलक
१२ प्रमीलक १३ कोठ
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