________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२०४
विकृतिविज्ञान परिवाहिन्य कोशीय संचिति के अतिरिक्त कोशा वाहिन्य-विक्षतों के समीप या अन्यत्र कहीं भी मस्तिष्क में देखे जा सकते हैं।
कुछ रुग्णों में मण्डाभपिण्डों ( amyloid bodies ) की उपस्थिति देखी जाती है जो देखने में काचर, बहीरेखा से गोल और संकेन्द्रण रेखाओं ( concentric markings) से युक्त पाये जाते हैं। जैसे पिण्ड वृद्धजनों में ब्रह्मद्वार सुरंगा (aqueduct of Sylvius) तथा चतुर्थनिलय की भूमि में देखे जाते हैं वैसे ही ये होते हैं पर उनका अवस्था से कोई सम्बन्ध यहाँ नहीं होने से युवक और वृद्ध दोनों में वे मिलते हैं। साथ ही इनके स्थान भी निश्चित नहीं होते वे मस्तिष्क में कहीं भी देखे जा सकते हैं।
इस रोग में शुक्तिगर्भ (globus pallidus ) की वाहिनियों का तीव्र चूर्णियन ( acute calcification ) देखा जाता है पर हैडफील्ड की खोजों से ज्ञात हुआ है कि यह चूर्णातु न होकर अयस् की संचिति होती है और यह शुक्तिगर्भ में स्वभावतः देखी जाती है तथा मस्तिष्कपाक से इसका कोई सम्बन्ध भी नहीं है। ___ मस्तिष्कछद में व्रणशोथ के वे ही परिवर्तन देखे जाते हैं जो मस्तिष्क में होते हैं। पर ब्वायड को अधिरक्तता से बढ़ कर कुछ नहीं मिला और इसी कारण मस्तिष्कोद पूर्णतः स्वस्थ देखा गया। पर कहीं कहीं विशेष करके मस्तिष्ककाण्ड पर हलका सा लसी कोशाओं का अन्तराभरण भी देखा जाता है। उपजालतानिकीय शोथ विशेष रूप से देखा जाता है।
यह तो हुआ अन्तरालित विक्षतों का वर्णन । अब हम जीवितक ( parenohymatous ) विक्षतों का विचार करते हैं। जीवितक विक्षतों में निम्न महत्वपूर्ण हैं:१. नाडी कन्दाणुओं (चेतैकों) का विहास (degeneration of neurons)
जिसका प्रमाण है-वर्णहास ( chromatolysis )। २. न्यष्टि की उत्केन्द्रता ( eccentricity of the nucleus )। ३. कोशा काया का विलोप ( disappearance of cell body )।
इनके अतिरिक्त कुछ विद्वान् नाडीकन्दाणुभक्षण ( neuronophagia) को भी मानते हैं। पर ब्वायड उसे धूसरद्रव्यपाक (poliomyelitis ) में अधिक देखता है। ___ उपरोक्त परिवर्तन प्रायः मस्तिष्क बाह्यक में उपस्थित रहते हैं परन्तु शीर्षण्या नाड़ियों ( cranial nerves ) में भी वे अधिकतर देखे जाते हैं विशेष करके तृतीया, षष्ठी, सप्तमी और द्वादशी नाडियों में। प्रथम महामारी में ७५ प्रतिशत रोगियों की तृतीया नाडी न्यष्टि में विहास देखा गया था। वैसे ही परिवर्तन धमिल्लक ( cerebellum ) के कलसिकाख्यकन्दाणुको ( Purkinje cells ) में भी मिलते हैं। परन्तु वे अत्यधिक विस्तृत रूप में नहीं मिलते जैसे कि धूसरद्रव्यपाक
For Private and Personal Use Only