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विकृतिविज्ञान change ) पाया जाता है वह यह विहास है । इसके कारण का अभी तक ठीक ठीक कोई ज्ञान नहीं हो सका है। ___ काचरविहास में सर्वप्रथम ऊति के तन्तु (fibres ) सूज जाते हैं। न्यष्ठीलाएँ लुप्त हो जाती हैं तथा सम्भवतः उपसिप्रियकों (eosinophils ) के सदृश रचनाविहीन ( structureless ) पदार्थ बच रहता है।
यह विहास निम्न स्थानों पर मिलता है:१. तन्त्वर्बुद ( fibroma) २. गर्भाशय के तन्तु-पेश्यर्बुद (fibro-myomata of uterus ) ३. चिरकालीन व्रणवस्तु ( old scars) ४. सशोथ फुफ्फुसच्छद के स्थूल हुए भाग में ( in the thickened part
of the inflammed pleura ) ५. सशोथ परिहृच्छद के स्थूल हुए भाग में । ६. कृन्तक व्रण के तन्तु संधार में (in the fibro stroma of the ____rodent ulcer ) यहाँ इसे रम्भार्बुद ( cylindroma ) कहते हैं। ७. धमनीजारठ्य ( arterio-sclerosis) ८. प्राचीन धनानि की तन्त्वि के विहृष्ट भाग पर ।
कभी कभी बड़े बड़े तन्तु-अर्बुदों में प्रथम काचरविहास होता है फिर वह भी तरलित हो जाता है और वहाँ एक कोष्ठ ( cyst) उत्पन्न हो जाता है । अन्त में जहाँ बहुत अधिक काचरीयन ( hyalinisation ) होता है वहाँ चूर्णीयन ( calcification) भी देखा जा सकता है।
धमनीजारख्य में वृक्क, प्लीहा और यकृत् की छोटी छोटी धमनियों में विशेष परिवर्तन देखे जाते हैं। उनकी प्राचीर के उपान्तर्भाग ( subintima ) में काचरद्रव्य एकत्र हो जाता है और उनके मुख को सङ्कीर्ण कर देता है साथ ही धमनी-प्राचीर में उपस्थित प्रत्यास्थ ( elastic ) तन्तुओं पर भी प्रभाव डालता है इसके कारण रक्त के आवागमन में ही कठिनाई नहीं पड़ती बल्कि उस अंग को आने वाली रक्तराशि भी न्यून हो जाती है। वृक्कों में केशिकाजूटों (glomeruli ) में होकर रक्त का जाना कम हो जाता है अतः वृक्तनालिकाओं में भी विशोणिक अपोषक्षय ( ischaemic atrophy ) हो जाती है और वहाँ तान्तव ऊति उत्पन्न हो जाती है।
प्राचीन घनास्त्रि ( thrombi ) के विघटित होने पर उसकी तन्त्वि ( fibrin) पर काचरविहास आरम्भ हो जाता है। डिफ्थीरिया में वृक्तकेशिकाओं में काचर घनास्त्रि पाई जाती हैं । भान्त्रिक ज्वर होने पर रोगी की हृत्पेशी तथा रेखाङ्कित ऐच्छिक पेशियों में यह विहास मिलता है । उदरदण्डिका (rectus abdominis), ऊरु की पेशियाँ, महाप्राचीरापेशी एवं जिह्वा की पेशियों में भी यह विहास प्रायः मिलता है। उस दशा में पेशी के सूत्र बहुत फूल जाते हैं उनका अनुरेखाङ्कन ( trans-striation ) नष्ट
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