________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५४
विकृतिविज्ञान
चला जाता है जिससे पृष्ठवंश आगे की ओर झुक जाता है रोगी की ठोड़ी आगे की ओर निकल जाती है और सिर झुकता चला जाता है और वह उसे सीधा करने में असमर्थ हो जाता है । कीकसों में से निकल कर जाने वाली वातनाड़ियों पर भार पड़ने से कुछ वेदना भी हो सकती है ।
1
अवयस्कों में भी एक प्रकार का कीकसपाक देखा जा सकता है जिसे स्ट्रम्पैल मेरी सिंड्रोम (Strumpel Marie syndrome ) कहते हैं इसका प्रारम्भ सहसा होता है भी आता है तथा यह भी ज्ञात होता है कि यह कोई औपसर्गिक रोग है परन्तु उपसर्ग का ज्ञान नहीं हो पाता है । इसमें अस्थि की बहिर्वृद्धि नहीं होती । बड़ी बड़ी सन्धियां जुटकर सम्पूर्ण पृष्ठवंश में गतिस्थैर्य कर सकती हैं । अस्थि का विरलन और मृद्दन खूब होता है ।
पुटपाक (Bursitis ) — जिस प्रकार सन्धियों में पाक होता है उसी प्रकार सन्धिश्लेष्मधरकला पुटकों ( bursae ) में भी पाक होता है । आघातजन्य साधारण पुटपाक में व्रणशोथ और उत्स्यन्द दोनों होते हैं। पर जीर्ण पुटपाकों में तान्तव स्थौल्य ( fibrotic thickening ) तथा सन्धिश्लेष्मघरकला की बहिर्वृद्धि विशेष करके देखी जाती है । पूयजनक उपसर्ग के कारण ये पुटक विधि का रूप धारण कर लेते हैं ।
(३) मांस धातु पर व्रणशोथ का परिणाम
यहां मांसधातु, मांसधराकला तथा कण्डराओं पर व्रणशोथ के परिणाम का संक्षिप्त वर्णन किया जायेगा ।
।
मांसधातु को पेशी नाम से भी पुकारा जाता है । यह साधारणतया दो प्रकार की होती है। एक ऐच्छिक या राजीवपेशी ( striped muscle ) तथा दूसरी अनैच्छिक या राजीरहित (unstriated muscle) पेशी कहलाती है । ऐच्छिक पेशियों में पेशी कोशा लम्बे और एकन्यष्ट्रीय होते हैं वे समूहों में क्रमित होते हैं । इन समूहों के ऊपर तान्तव ऊति की चादर चढ़ी होती है जिसमें होकर पेशीपोषक रक्तवाहिनियां तथा वातनाड़ियां गमन करती हैं । ये समूह शारीर शास्त्र की दृष्टि से पेशी की परिभाषा को पूर्ण करते हैं । सम्पूर्ण पेशी के ऊपर एक बड़ी तान्तव चादर चढ़ी रहती है जो दूसरी पेशियों की चादर से तथा पर्यस्थ ( periosteum ) से सन्तत रहती है । यही चादर मांसधराकला कहलाती है । समूहों पर चढ़ी चादर भी मांसधराकला ही है । राजीरहित पेशी में कोशाओं का प्ररस एक समान और मिला जुला होता है उसमें बीच बीच में चादर जैसा कुछ नहीं होता ।
कण्डरा ( tendons ) एक ओर पेशी की मांसधराकला से सम्बद्ध होती है और दूसरी ओर पर्यस्थ से संलग्न होती है। कण्डरा की क्रिया सम्यक्तया सम्पन्न हो सके
१. तासां प्रथमा मांसधरा नाम, यस्यां मांसे सिरास्नायुधमनीस्रोतसां प्रताना भवन्ति ।
For Private and Personal Use Only