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यलय सपळविमुश्शावल्लिराधापतियासणाहणेहरलियासुलिया निभनियनिवतिया काम। यापिसाविरामडामण इहायुहावहनियहर्कतयाचउपयारदंशय निझर रितदापनि शरसंसूर्य सासणादर्वसय गर्य मिळतमन्नासिंग वारण गिरिदलिनिवारण गुप्त येवले पढ़करतय गावश्अलहनशगोवरंडहरे करतणकपंजरी सासुरी घुलतकंधकेसरकाण जलतपिंगलावाण सासण मुहाविधकपासणीसाहय विलेवमाणजाय चिय दिसागयय हिंसिचिया लठिया विवहर्पकविमा रुस्य यजल्लादामईदय समुह समयमंमुहारहीसाह रेसुइरहतमादर हसालाखमाणसक्कल्सयरमाय सरंतरतरं तयारमाय चलेशसागजमाया अवार्डधियसकससंघर्ड मायर पनवपक्यायरसायर संरतवारिसायरं यासणामयाबिरुवा सण सुंदर पुरंदरममदिर सोहण महादिकोणिहलगी उच्य अणेयरमसंचय दिवयास पंपनियाधमाश्यजोगवियह पुप्पपडितहासिविणण्जेंजिदिहु उड्यएपवृहे अरुणमझो हा गयाततिहसिहापाताणवणारीसारियह अलमापविलडाथिह दिहणगोटेगरुडा गुरु होमशादणुपयपणयमुरुगानार्टगोमरजुधरासाहेण संविकमधिवासिरिदसणलद २२
और सुन्दर, मछलियों का चंचल जोड़ा; प्रकट जल से भरे हुए कलशों का जोड़ा। खिले हुए कमलों का अपने स्वामी के स्नेह में पगी हुई, आँखों की पलकें बन्द कर सोती हुई पत्नी, कामद रात्रि के अन्तिम आकर और शोभा बढ़ानेवाला सरोवर; गरजते हुए जल से भयंकर समुद्र सिंह है आभूषण जिसका ऐसा आसन प्रहर में शुभ करनेवाले (स्वप्नों) को अपनी इच्छा से देखती है-सुन्दर चार प्रकार के दाँतोंवाला, पूर्ण, अर्थात् सिंहासन; सुन्दर इन्द्र का विमान: सुहावना महानाग का घर; ऊँची रलराशि; चमकती हुई और जलती मदजल-धारा को झरता हुआ प्रशंसनीय धानुष्क वंशीय, ऊँचा, जिसपर मतवाले भ्रमर मँडरा रहे हैं, ऐसा हुई आग। पहाड़ों की दीवालों को विदीर्ण करनेवाला गज। आता हुआ जोर-जोर से दहाड़ता हुआ, जिसे लड़ने के लिए घत्ता-वह मुग्धा सपनों को देखकर जाग उठी, और स्वप्नों में उसने जिस प्रकार जो देखा था, लालप्रतिद्वन्द्वी बैल नहीं मिला है, ऐसा बैल; दुर्धर नखसमूह से विस्फुरित, भास्वर, कन्धे की अयाल को घुमाता लाल किरणोंवाला सवेरा होने पर, उसने उसी प्रकार राजा से कहा॥५॥ हुआ, क्रुद्ध चमकती हुई पीली आँखोंवाला, भीषण मुख से शब्द करता हुआ, जीभ को निकालता हुआ सिंह; पूजित दिग्गजों के द्वारा अभिषिक्त और पूजित, खिले हुए कमलों के समान आँखोंवाली लक्ष्मी; विशाल दो तब राजा नारियों में श्रेष्ठ आदरणीय मरुदेवी से कहते हैं-"गजेन्द्र देखने से तुम्हारा पुत्र देवों से प्रणतपद पुष्पमालाएँ; सामने उगता हुआ शुभ किरणोंवाला (चन्द्रमा); प्रभा का घर, अत्यन्त दुःसह रात्रि का हरण और गुरुओं का गुरु होगा। गोनाथ (बैल) देखने से पृथ्वी धारण करेगा। सिंह देखने से वह पराक्रम का विस्तार करनेवाला हंसक (सूर्य), (जो आकाशरूपी सरोवर का एकमात्र हंस था); सरोवर में तैरता हुआ अनुरक्त करेगा,
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