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विविध शरीराङ्गों पर व्रणशोथ का प्रभाव
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वातनाडी विक्षतजन्य सन्धिपाक ( Neuropathic arthritis ) – यह विहासात्मक प्रकृति के वातिक विक्षतों ( nervous lesions of degenerative nature ) में विशेष करके प्रचलाङ्ग वैषम्य ( locomotor ataxia ) नामक रोग में फिरंग के कारण हो सकते हैं । दूसरा रोग जिसमें ये देखे जाते हैं सुषुम्ना कुल्याविस्फार ( syringomyelia ) कहलाता है । इस में अपुष्टि ( atrophy ) अधिक होती है । इस प्रकार के सन्धिपाक को चार्कट सन्धि ( charcot's joint ) कहते हैं । इन अवस्थाओं का मुख्य लक्षण वेदना का न होना या कम होना है ।
चासन्धि अतिपुष्ट (hypertrophic ) तथा अपुष्ट ( atrophic ) दो प्रकार की होती हैं । अतिपुष्ट में सन्धि का अत्यधिक विसंघटन और विरलन हो जाता है तथा अस्थियों के सन्धायी सिरों पर अस्थि की वृद्धि देखी जाती है । अपुष्ट में अस्थि का विरलन एवं प्रचूषण द्रुतगति से होता हुआ श्लेष्मधरकला उत्स्यन्द से भर जाती है । सन्धायीका स्थियों के विनाश और विचूर्णन ( decalcification ) के कारण अस्थि के विरलन के अतिरिक्त और अधिक वैकारिकी का ज्ञान नहीं हो सका है । श्लेष्मधरकला में कणात्मक ऊति की भरमार हो जाती है, प्रावर तथा अन्तर्बाह्य भागों पर भी कणात्मक ऊति पहुँच जाती है जिसके कारण सन्धि पूर्णतः विघटित हो जाती है और वैकारिक विच्युति ( pathological dislocation ) देखने में आती है । इन सन्धियों की गतियाँ बड़ी-बड़ी विचित्र देखने में आती हैं । साधारणतः जो गति एक स्वस्थ सन्धि नहीं कर सकती वे सब भी इन सन्धियों में मिलती हैं एक विचित्र अस्थिर चाल इस रोग में मिलती है । अतिपुष्ट प्रकार बहुत मिलता है सन्धि के भीतर प्रवृद्ध अस्थि उसकी किसी गति को रोक भी सकती है। या अस्थि के लव टूट कर इधर उधर घूमते हुए भी देखे जा सकते हैं । अपुष्ट प्रकार सक्थ्नि (upper extremities) की सन्धियों में देखा जाता है और सहसा मिलता है । शूल होकर अंग फूल जाता है संधि बेकार हो जाती है थोड़े दिन बाद जब सूजन घटती है तो संधि विसंघटित हुई देखी जाती है ।
जीर्ण सन्धिपाक- जीर्ण सन्धिपाक के नाम से दो सन्धिपाक लिए जाते हैं इनमें एक औपसर्गिक (infective ) है और जो आमवाताभ सन्धिपाक (Rheuamtoid arthritis) के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरा विहासात्मक ( degenerative ) है जो अस्थिसन्धिपाक ( osteoarthritis ) या विरूपकर सन्धिपाक ( arthritis deformans ) कहलाता है । हम इन्हीं दोनों का नीचे वर्णन करते हैं :
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आमवाताभ सन्धिपाक ( Rheumatoid arthritis ) — इसका दूसरा नाम औपसर्गिक बहुसन्धिपाक ( infective polyarthritis ) भी है । यह रोग जितना प्रारम्भिक आयु के व्यक्तियों में होता है उतना प्रौढ़ों में नहीं देखा जाता । बालकों में इसका प्रारम्भ तीव्रतापूर्वक होने के कारण यह आमवातज सन्धिपाक से
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