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प्रश्नध्याकरणसूत्र पापी = दीर्घायामा ‘वप्पिण' वप्राणि = क्षेत्राणि, 'कृष' कृपा 'सर' सर:-- कनिमजलाशयः 'तलाग' तड़ागस्तदितरः प्रसिद्ध एक, 'चिई चिति , मृतकदहनार्थ काठचयनम् , 'चेइय' चैत्यम्-मृतकोपरिस्मारकचितम् , 'खाइय' खातिका%D परिखा, आरामः गृहसमीपोपवनम् , विहारः पिहियतेऽति विहारः क्रीडास्थानविशेष., 'धूम' स्तूपः स्मारकस्तम्भः 'पागार' माकारः 'गढ़' इति भाषाप्रसिद्धः, 'दार' द्वारं प्रसिद्धम् , गोउर' गोपुर-पुरद्वारम् , 'अहालग'अट्टालक!='छत"अटारी' इति प्रसिद्धः, 'चरिया' चरिका-दुर्गनगरयोमध्यस्थितः अष्टहस्तप्रमाणा इस्त्यादि सचारमार्गः, 'सेउ' सेतु ='पुल' इति मसिद्ध , 'सकम' सक्रमासक्रम्यते येन स सक्रम =जलगर्तपारकरणाय पापाग फाठरचित मार्ग , 'पासाय' प्रामाद नृपगृहम् विकप्प' विकल्पा:-तभेदाः 'भवण' भवनानि, भवनमायामापेक्षया किश्चिदल्पमुच्छायमान भवति, मासादस्तु आयामद्विगुणोच्छायः, इति प्रासादभवनयोविशेषः,
रिणी-पुष्करिणी के निमित्त (चावि ) वापी-चाव के निमित्त (वप्पिण) वावडी के निमित्त ( कूच ) कूप कुवा-के निमित्त (सर) सर-कृत्रिम जलाशय के निमित्त (तलाग) तलाग-तड़ाग के निमित्त (चिइ) चिति के निमित्त (चेय) चैत्य के निमित्त (साइय) खातिका के निमित्त (आराम) आराम का निमित्त (विहार ) विहार के निमित्त (यभ) स्तृप के निमित्त (पागार ) प्राकार के निमित्त (दार) द्वार के निमित्त (गोउर) गोपुर के निमित्त (अट्ठालग) अालिका अटारी के निमित्त (चरिया) चिरिका के निमित्त (सेउ) सेतु-पुल के निमित्त (सकम) सक्रम के निमित्त (पासाय) प्रासाद-राजमहल के निमित्त (विकप्प) विकप्प-विकल्प के निमित्त (भवण ) राजमहल विशेष-उनके लिये
पुरिक्षाने निभिः “वावि" वापी-पापन निमित्त "वप्पिण" पावडीने निमित्त "कूव" ५-पाने निभित्र "सर" स२-३त्रिम शयने निभित्ते "सलाग" तसास-तणाव निमित्त "चिह" यितिन निमित्त 'चेइय" येत्यने निमित्त "खाइय" माति-माने निमित्त "आराम" भाराभ-याना नभित्त "विहार" विडारने निमित्त "थूम" स्तूपन निमित्त "पागार" ४२ Beera निमित्त "दार" २२ निमित्त "गोउर" शपुरन निमित्त "अट्रालग" सानिमा निमित्त "परिया" याने निभित्ते "से" सेतु-सन निभित्ते "सकम" सभने निमित्त "पासाप" प्रासा-मसन निमित्त "विकप्प" बम-विपनसभित्ते "भवण" स मे ना भिडस भाटे,