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মআই त्ययः, यत्तत्तथा, तबा-हिणण हणणपयणकयकारियाणुमोयणानवकोडीहिं 'क्रयण हननपचनकृतकारितानुमोदननरकोटिभिः, तत्र-जयण-मृत्येन ग्रहणम् , हननप्राणनियोजनम् , पचनम् अग्निना, एपा यानि कृतारितानुमोदनानि-स्वय करण परेण कारण कुर्वतोऽनुमोदनम् , तान्येव नरकोटय = नाविभागास्तामिः 'मुपरिसुद्ध' सुपरिशुद्ध-निर्दीपम् , तथा-' दसहि य दोसेहि ' दशमिश्च दोप शद्धितादिभिः, 'विप्पमुक्क' विममुक्त-रदितम् , तथा-'उग्गम-उप्पायणेमणाहि' उद्मोत्पादनैपणाभिः तत्र-उद्गम आधाकर्मादिः-पोडशविधः, उत्पादनाचाव्या. शुद्ध हो, उन उद्दशों में जो आहार के दोप कहे गये है उनसे वर्जित हो, तथा (किणण-हणणपयणकय कारियाणुमोयण-नवकोडीहिं सुपरिसुद्ध) जो आहार क्रयण, हनन और पचन, की न, कारित और अनुमोदनरूप नवकोटियो से परिशुद्ध हो, अर्थात् जो आहार स्वय मूल्य देकर न खरीदा गया हो, दूसरो से मल्य देकर न सरीदवाया गया रो
और न उमकी अनुमोदना की गई हो, ३ इसी प्रकार जिस आहार के निमित्त हनन-प्राणियों के प्रागों का वियोजनस्वय न किया हो, दूसरों से न कराया हो और न इमकी अनुमोदना की गइ हो , इसी तरह जो आहार अग्नि से स्वय न पकाया गया हो, दूसरों से न पकवाया गया हो और न इसकी अनुमोदना की गई हो २, इन नव कोटियों से निर्दोष हो, तथा ( दसहि दोसेहि विष्पमुका) शकित आदि दश दोपो से जो रहित हो, तथा-( जग्गम-उपायणेसणाहिं सुद्ध) आधा फर्म आदि सोलह प्रकार के उद्गम दोषों से वायोदि सोलह प्रकार के હોય, તે ઉદ્દેશમાં આહારના જે દો બતાવ્યા છે તેમનાથી રહિત હોય, तथा " किणण-हणणपयण-जयकारियाणु मोयणनकोडीहिं सुपरिसुद्ध " આહાર કયણ, હનન અને પચનની કૃત, કારિત અને અનુદકરૂપ નવ પ્રબરે પરિશુદ્ધ હોય, એટલે કે જે આહાર જાતે કીમત આપીને ખરીદ્યો ન હોય, બીજાઓ મારફત મૂવય આપીને ખરીદ કરાવા ન હોય, અને તેની અનુમોદના પણ ન કરાઈ હોય, એ જ પ્રમાણે જે આહારને નિમિત્તે હનન-પ્રાણીઓના પ્રાણોની હત્યા પિતે ન કરી હય, બીજાની પાસે કરાવી ન હોય, અને તેની અનુમોદના પણ ન કરાઈ હેય, એ જ પ્રમાણે જે આહાર અગ્નિ વડે પોતે રા ન હોય, બીજા પાસે ૨ ધા ન હોય અને તેની અનુમોદના પણ ન उस डाय, ये नजारे याहार निषि होय, तथा " दसहिं दोसेहि विप्पमुक्क" शठित मा म पोथी २डित जाय, तथा " उग्गम-उप्श यणेसणाहिं सुद्ध " माम माहिम ना गम हाथी, घाया