Book Title: Prashna Vyakaran Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1074
________________ प्रश्नभ्याकरण य आयवनिद्धमउय-सीय उसिणलहुया य जे उउसुहफासा अंगसुहनिव्वुइकरा ते, अन्नेसु य एवमाइएसु फासेसु मणुनभदएसु न तेसु समणेण सजियव्वं,न रज्जियवं, न गिज्झियवं, न मुज्झियव्यं, न विणिघाय आवज्जियन्व, न लुभि यव्व, न अज्झोववजियवं, न तूसियन, न हसियत्व, न सई च मइ च तत्थकुजा। पुणरवि फासिदिएण फासिय फासाइ अमणुन्नपावगाई, किं ते ? अणेगवहबध-तालणंकण-अइभारारोवण-अगभजण-सुईनखप्पवेस-गायपच्छणलक्खारसखारतेल्लकलकलत-- -तउसीसककाललोह--सिंचणहडिवधण रज्जुनिगल-संकलन हत्थंडुयकुभिपाकदहण सीहपुच्छण-सूलभेय--गयचलणमलण-करचरणकन्ननासोट्ठसीसछेयण-जिब्भच्छेयण वसणनयण हिययदतभजण जोत्तलयकसप्पहारपादपण्हिजाणुपत्थरनिवायपीलणक -- विकच्छुअगणि विच्छुयडक्कवायायवदसमसगनिवाए दुट्टणिसज्जदुन्निहिया कक्खड गुरुसीयउसिणलुक्खेसु बहुविहेसु अन्नेसु य एवमाइएसु फासेसु अमणुन्न पावगेसु न तेसु समणेण रूसियव्व, न हीलियत्व, न निदियव्य, न गरहियव्वं, न खिसियव, न छिदियत्व, न भिदियव्व, न वहेयव्वं, न दुगुंछावत्तियाविलब्भा उप्पाएउं एव फासिदियभावणाभाविओ भवइ अतरप्पा मणुन्नामणुन्नसुभिदुम्भिरागदोसपणिहियप्पा साह मयवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहिइंदिए चरेज धम्म ॥ सू० ११ ॥

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