Book Title: Prashna Vyakaran Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1086
________________ - - - - - - ९३६ प्रभण्याकरण प्त्यर्थ नैयाधिको यत्नो पिया, 'न तुसिया न तोष्टव्य-तत्प्राप्ती परितोपो न कर्तव्य , न इसियन न इसितव्यम्-माप्ती विस्मयेन हासो न कर्तव्यः। तथा श्रमण 'तत्थ' तत्र-पूक्तिमुक्ततद्विपये सइ च' स्मृति स्मरण च' मति युद्धिनिवेश च ' न कुज्जा' न कुर्यात् । 'पुणरवि' पुनरपि उच्यते-' फासिंदिएण ' स्पर्शेन्द्रियेण ' अमनुग्णपारगाइ' अमनोजपापमान रुचिकरानित्यर्थः, 'फासाइ ' स्पर्गान ' फासिय' स्पृष्ट्वा पिते' फॉस्तान्अयम्भूतांस्तान् ? इत्याह-'अपोगह-ध-तालण-फण- अइभारारोपण-भग-भजण-मुनखप्पवेस हसियन्च, न सड च मइ च तत्थ कुज्जा) कभी मी आसक्ति से अपने चित्त को नहीं बाधना चाहिये, उनमें रागभाव नहीं करना चाहिये। गृद्धिमाव नहीं करना चाहिये । उन में मुग्ध नहीं होना चाहिये-उनके निमित्त अपने चारित्र का परित्याग नही कर देना चाहिये । उनमें लुभाना नहीं चाहिये। और न उनकी प्राप्ति के निमित्त प्रयत्नही करना चाहिये । यदि ये अनायास प्राप्त हो भी जायें तो उनकी प्राप्ति में परितोप नही मानना चाहिये । और माप्ति में कोई विस्मय आश्चर्य ही नहीं करना चाहिये । तया अनण को इन प्रोक्त अनुभचित स्पों में अपनी स्मृति को एव बुद्धि को भी नहीं लगाना चाहिये। (पुणरवि) इसी तरह फिर (फासिदिएण) स्पर्शन इन्द्रिय से (अमणुण्गपावगाइ) अमनोजपापक-अरुचिकारक-पों को स्पर्श करके उनमे साबु को द्वेष नहीं करना चाहिये । (किं ते ?) वे अमनोज पापक स्पर्श किन २ पदार्थो मे रहते है, इस प्रकार के प्रश्न का उत्तर देने के लिये सूत्रकार कहते है कि (अणेगवध-तालणकण-अहभारारोवणन हसियन , न सइ च मइच तत्थ कुज्जा" ५ मासतिथी पाताना ચિત્તને બાધવુ નહી, તેમનામાં રાગભાવ કરે નહીં તેની લાલસા રાખવી નહી તેમાં મુગ્ધ થવુ નહી,-તેને ખાતર પિતાના ચારિત્રને પરિત્યાગ ને કરવો જોઈએ તેમાં ભાવું ન જોઈએ અને તેની પ્રાપ્તિને માટે વધુ પ્રયત્ન પણ કરવો જોઈએ નહી જે તે અનાયાસે મળી જાય તે તેની પ્રાપ્તિથી પરિતેષ માનવો જોઈએ નહી તેની પ્રાપ્તિમાં વિરમય પણ બતાવવું જોઈએ નહી અને સાધુએ એ પૂર્વોક્ત અનુભવેલ શેનું સ્મરણ કરવું જોઈએ નહી અને तभना विद्यार परवान नही "पुणरवि' ' फासि दिएण" १५शेन्द्रियथी "अमणण्णपागाइ" समनास पा५४-०२-२१२४ સ્પને પૂરી કરીને તેમને પ્રત્યે સાધુએ ઠેષ કરવું જોઈએ નહીં “ ?” અમને પાપક-અરુચિકારક સ્પશ વાળા કયા કયા પદાર્થો છે, તે પ્રશ્નના उत्तर मापता सूत्रा२ ४ छ“अणेगवहबध तालणकण-अइभारारोवण

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