Book Title: Prashna Vyakaran Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1060
________________ • ९१८ प्रश्नध्याकरण सरमचन्दन-कर्पूर-लबागमगुमायोलोशीशेतनन्दनगुगन्धसारनयुक्तिवरधूपवासान्-तर-जलचराणि-जले समुत्पन्नानि पुष्पादीनि, स्थचराणिस्यले समु त्पन्नानि सुगन्धिपुष्पादीनि, सरसानि-रमयुक्तानि पुष्पफलपानभोजनानि, कुष्ठसुगन्धिद्रव्यविशेषः, तगरः, धूपविशेप', परम्तमापनम् , ' चोय ' त्वचासुगन्धिक्षत्वचा, दमनकापुप्पजातिविशेष., मनकाममा' इति मापापसिद्धो वनस्पतिविशेषः, एयरस एलायाः 'इलायची' इति प्रसिद्धाया रसः, 'पिकमसी' पकमासी-परिपकगन्धद्रव्यविशेपः, गोशीपम् एतन्नामक चन्दनम् भारसचन्दनम् =धीखण्डचन्दनम्, कर्पूर -प्रसिद्धः, लाहानि-प्रसिद्धानि, अगुरु-धूपविशेषः, कुङ्कुमम्-'केसर' इति प्रसिद्धम् , ककोल. फलविशेप., उशीरम् बीरगमूल 'खश' इतिप्रसिदम् , श्वेतचन्दन प्रसिद्धम् , सुगन्यसारङ्गयुक्तिवरधूपपामा मुगन्धाना-शो भनगन्यवता सारगाणा-कमलपगाणा युक्तियाजन यतादृशो यो वरधूपनासाधूपद्रव्यविशेपः, एतेपामितरेतरयोगद्वन्द्वः, तांस्तयोक्तानात्राय ' समणेण' श्रमणेन-साधुना ' उउयपिडिमणिहारिमगधिएसु ' अनुनपिण्डिमनि रिमगन्धिकेषुजलचर-जल में उत्पन्न हुए सुगंधित पुम्पो की, स्थलचर-स्थल में उत्पन्न छए खुशबूदार फूलो की, सरस-रस युक्त पुष्प, फल, पान, भोजनों को, कुष्ठ-सुगंधित द्रव्य की, तगर-धूपविशेप की, पत्र-तमालपत्र की, चोयसुगधित वृक्ष की छाल की, दमनक-पुष्पजाति विशेष की, मरुक-मरुआ की,इलायची के रस की,पक्वमसी-परिपक्वगधद्रव्य विशेषकी, गोशीर्ष चदन की, श्रीग्वडचदन की, कपूर की, लवग-लोगो की, अगुरुधूप की कुकुम-केशर की, ककोल नामक फलविशेप की, उशीर-खश की श्वेतचदन की, तथा जिसमें शोभन गावाठे कमल पत्रों का योजन समिश्रण-आ हो ऐसे उत्तम धूपविशेष की, सुगध को सूघ करके, तथा (उउयपिडिमणिहारिमगधिण्सु) ऐसी सुगन्ध से युक्त द्रव्यों के धूववासे " य२-४! Gत्पन्न येता सुगधित यानी, स्थाय२-४ भान પર ઉત્પન્ન થયેલા સુગ ધિત ફેલોની, સરસ-રમદાર ફ, ફળ, પાન, ભેજના (४-सुगधित द्रव्यनी, तार-2 कतना पनी पत्र-तमासन, न्याय સુગધિત વૃક્ષની છાલની, દમનક-એક જાતના ફલની, મક-ડમરાની, એલાયન ચીના રસની, પકવમ સી-એક જાતનું સુગધિ દ્રિવ્યન, ગશીર્ષ ચદનની, શ્રી ५ यहननी, उधरना, सवीगनी, अ पनी शुभ-शरनी, रास નામના એક જાતના ફૂલની, ઉશીર-સુગ ધિવાળાની ઋતચ દનની, તથા જેમી સુદર ગ ધવાળા કમળ પત્રનુ મિશ્રણ થયું હોય એવા ઉત્તમ પ્રકારના ધૂપી सुगध सूधान तथा "उउय पिडिमणिहारिमगधिएस" ने द्रव्यामा तुन

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