Book Title: Prashna Vyakaran Sutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1048
________________ ९०६ प्रश्नध्याकरणसूत्र सभा प्रसिद्धा, प्रपा-पानीयशाला,आपसया परिनानकरसति ,मुमतशयनासनानि सुकृतानि-मुष्ठ कृतानि-विहितानि यानि शयनानि शग्याः, आमनानि-सिंहासनानि च तानि तथोक्तानि, शिपिका पाठकी ' ति प्रसिद्धा, रया प्रसिद्धः, शकटम् गाड़ा' इति भाषा प्रसिद्धम् , यानम्-मनसाचन स्थादिकम् । यु ग्यम् अश्वादिवाहनम् , स्यन्दनो-रयविशेषः, एपामितरेतरयोगद्वन्द्व , तास्तयोतम् , तथा 'नरनारिंगणेय' नरनारिंगगाचवीपुरुपसमुदायाच, दृष्ट्वा, कयम्भू तानेतान् ? इत्याह--' मोमपडिस्पदरिसणिज्जे' सोमप्रतिरूपदर्शनीयान्-सोम व सौम्यतया चन्द्रा प्रतिरूपा सुन्दराः, अतएव-दर्शनीया:-अष्टु योग्यस्तान् पुनः कथभूतान् ? ' अलकियविभूसिए ' अमृतविभूपितान् अलता-मुकुटाघलंकारै विभूपिताः वस्त्रादिभिः सज्जिताः ये तान् , पुनः कथभूतान् ? पुवकयतवप्पभावसोहग्गसपउत्ते' पूर्वकृततपः प्रभारसौभाग्यसपयुक्तान् पूर्वकृततपः प. भाषेण प्राप्त यत्सौभाग्य तेन सप्रयुक्ता ये ते तथा तान् दृष्ट्वा, तथा-' नड-नटंग जल्ल मल्लमुढियवेलवगकहग-पग-लासग-आइखग-लग्व-मख-तूगइल्ल-तुरवीणिय-तालायरपकरणाणि' नट नर्तक जल्लमल्लमोटिकविडम्बक- कथकआवसथ-परिव्राजकों के स्थान, सुकृत-अच्छी तरह से सजाये गये शयन, आसन, पालकी, रय, गोडा, यान-गमन के साधनभूत वाहन, युग्य-अश्वादिकवाहन, स्यदन-रथविशेप, इन सयको, तथा ( नरनारिगणे य) नर और नारी के वृन्द को कि जो (सोमपडिरूपदरिसणिज्जे) चन्द्रमा के जैसा सुन्दर आकार वाला है और इसी से जो दर्शनीय बना हुआ हैं (अलकियविभूसिए) मुकुट आदि विवध अलकारों से एवं वस्त्रादिको से सुसज्जित है, (पुव्वकय तवप्पभावसोहाग सपउत्ते) पूर्वकृत तप के प्रभाव से प्राप्त मौभाग्य से जो युक्त है इन सब को देखकर के तथा (नडे-नग-जल्ल-मुहिप-वेलांग-कहंग-पवग-लासग-ओईक्खंग-लख-मख-तृण-इल्ल-तुषवीणिय-तालायर-पकरणाणि) ટવાળા શયનસ્થાન, આસન, પાલખી, રથ ગાડા, યાન મુસાફરીના સાધનરૂપ વાહન, યુગ્ય અશ્વાદિ વાહન, સ્ય દન ખાસ પ્રકારના રથ, એ બધાને તથા " नरनारिंगणेय" न२ मने नारीना समूडने “सोमपडिस्वदरिमणिज्जे" ચન્દ્રમા જેવા સુદર આકારવાળા છે અને તેથી જ જે જોવા ગમે તેવા છે, "अलकियविभूसिए " भुगट मा विविध भा तथा पोथी विभूषित छ, "पुवकयतवापभावसोहाग सपउत्ते" पूर्वत तपना माथी प्रात ययस शीमाश्यथा रेसा युत छे, से सौन धन तथा " नड-नट्टग-जल्ल-मल्लमुद्रिय-वेलवग-कहग-पग-लासग आइस्खग-लख-मस-तूण-इल्ल-त -ता

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