________________
=
सुदर्शिनी टीका अ० ३ ०१४ चौरा किं फल प्राप्नुवन्तीतिनिरूपणम् ३२२ तथा 'तम्मणण विमुहियमगा' लम्यमान ननणवेदनाविमुखितमनसः= लम्पमानचर्माणि=गलन्चर्माणि यानि गानि तानि ' या ' इति प्रसिद्धानि तेपा या वेदना:- पीडाः ताभिः मुसित पार्यकरणाद् विरक्त मनो येपा ते तथा, ' वग कोण निपलज्य रसं फोडियमोटियाय ' कुट्टननिगडयुगलम कोटितमोटिताच = तत्र धनकुट्टनेन = लोडमय मुद्गरताडनेन निगउयुगलेन = गृबलाइयनन्धनेनेत्यर्थ, सोदिता = मक्कोचिता मोटिताःकीकृताय येते तथा 'कीरवि ' 'क्रियन्ते = राजपुरुपैरिति प्रर्वेण सम्बन्धः । तथा निकन्यारा:= निरुद्रमून पुरीषोत्सर्गाः, यद्वा-निरुन्चाग =म्पपीटामती कारार्थ मे कशडीच्चारणमात्रमविकर्तुमशक्ताः, अत एन अमञ्चरणा. = गमनागमननिता. एकानमनिद्वाएन 'पात्रा' पापा:=पापपन्न बने हुए तथा (लतचम्मचणवेणचितुरियमगा ) ( लगतचम्म ) कोड़ो आदि की मार से शरीर की खाल खिंच जाने के कारण लटकते हुए चमडे से युक्त (वण ) पात्रों की ( वेयण ) वेदना से ( विमुहियमणा ) जिनका मन चोरी करने से विरक्त हो चुका है ऐसे, तथा (aणकोणनिपलजुयलसकोटिनोडिया ) ( घणकोहण ) लोहमय मुहरों की चोट से, एव (नियलजुय ) दो सालों द्वारा किये गये घनों के (सकोटियमोडिया ) जिनका शरीर सकुचित होकर वक्रीभृत रो चुका है (निच्चारा ) अपनी पीडा को प्रकट करने के लिये जो एक शब्द के उच्चारण करने में भी अनम न चुके हैं, अवा- वेद मार के कारण मल मुत्रका उत्सर्ग जिनका यद हो चुका है और इसी कारण जो ( अमचरणा ) एक ही स्थान में प्रतिवद्ध रहने के कारण जो चलने फिरने में असमर्थ बन चुके है ऐसे ये अदत्तनाही ( पावा ) पापी
એવીદીનદએમા મૃડાયેલા તથા
चम्मवणनेयणविमुहियमाणा "
' नतचम्म " डोरा माहिना प्रहाग्यो रात्रीश्नी ग्राभडी तरी स्वावी सटन्ती याभडी वाजा "वण " बावोनी बेहनानी 'निमुद्दियमणा જેમના भन यो ग्वाथी विगत था गया है, तथा " घणकोहण नियलजुरल सकोडिय मोटिया " " घणकोण " सोहमन भग-जोनी थोथी भने “नियलजोयल " એ સાળા ઢાળ मवायेसा जघनायी ' मकोडियमोडिया " જેમના શરીર भजयाधने बजी गया है तथा " निरुत्वारा " पोतानी बेहनाने प्रगट खाने માટે એક સખ્ત પશુ ખેલવાને જે અસમય છે, અથવા બેહુદ મારને લીધે જેમની મળમુત્ર આદિના ભંગની ક્રિયા બવ થઈ ગઈ છે અને ८४ असच” એક જ સ્થાનમા પૂરાયેલ વ્હેવાને કારણે જેવા હલન ચલન ડગ્યાને
रणा
७० ४२
4
"