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५६८ त्वात् ५०, 'वीसागो' विश्वास माणिना प्रतीतिजनकस्यात्, यद्वा-प्राणिप्राण स्याविरुद्धसमाचरणलक्षणः ५१, अभओ' अभयः निर्भयहेतुत्वात् ५०, 'मन्चम्मवि. अमाधाओ' सर्वस्यापि सकलमाणिगणस्य अमाघाता-मान.मी., सा च देधा धनलक्ष्मीः प्राणलक्ष्मीश्व, तस्या घातो हनन माषातो, न मानत अमाघात:-- अमारिः स्वपदद्वारा प्राणिना प्राणत्राणकरणात् ५४, 'चोरग्व' चीक्षा पवित्रादपि पवित्रा-कर्ममलापहारकत्वात् ५४, परित्ता' पवित्रा आत्मनैमहेलतुत्वात् ५५, प्रमाद है ४९परप्राणियों को यर तृप्ति का कारण होतीहै इमलिये इसकानाम ( अस्साओ) आश्वास है ५० । प्राणियों में यह प्रतीति उत्पन्न करा देती है इसलिये इसका नाम (वीमाओ) विश्वास है। अथवा प्राणियो के प्राणों के विरुद्ध आचरण इसमे नहीं होता है इसलिये भी इसका नाम विश्वास है ५१ । प्राणियो को यह भयरहित बना देती है। इसलिये निर्भय की हेतु होने से इसका नाम अभय है ५२। दूसरे जीवो की मा-धन-लक्ष्मी और प्राणरूपलक्ष्मी का इसमें घात नहीं होता है इस लिये इसका नाम ( अमाघाय) अमाघात है । मा शब्द का अर्थ लक्ष्मी होता है-धन रूप लक्ष्मी और प्रागरूप लक्ष्मी के भेद से यह लक्ष्मी दो प्रकार की होती है । अहिंमा से इन दोनों का सरक्षण होता है यह बात प्रत्यक्ष है इसलिये इसका नाम अमाघात है ५३। यह अहिंसा पवित्र वस्तुओं से भी है अतिपवित्र है इसलिये इसका नाम (चोक्खा) चोक्षा है ५४ । इससे आत्मा के ऊपर जमा आअनादिकाल का मेल-विभाव परिणति दूर हो जाती है। अत:आत्मा निर्मल-अपने स्वरूप में मग्न-हो
मामा त प्रतीति पनि छ तथा तेनु नाम "वीसाओ" विश्वास છે અથવા પ્રાણુઓના પ્રાણના વિરૂદ્ધનું આચરણ તેમા થતું નથી, તેથી પણ તેનું નામ વિશ્વાસ છે (૫૧) પ્રાણુઓને તે ભય રહિત કરે તેથી નિભ यताने भाटे २४भूत वाथी तेनु नाम "अभय" छ (१२) wlan यानी મા-ધન-લક્ષ્મી અને પ્રાણરૂપ લક્ષ્મીને તેમાં ઘાત થતું નથી, તેથી તેનું નામ " अमाघाय" अमाघात छे 'मा' शनी मर्थ सभी थाय छ-धन३५ લક્ષ્મી અને પ્રાણરૂપ લીમી, એ રીતે તેના બે પ્રકાર પડે છે અહિંસાને એ અને સરક્ષણ થાય છે તે વાત પ્રત્યક્ષ છે (૫૩) તે અહિંસા પવિત્ર વસ્તુઓ ४२ता ५५ वधारे पवित्र छे, तेथी तेनु नाम "चोक्खा" चोक्षा छे (५४) તેનાથી આત્મા ઉપર જામેલો અનાદિકાળને મેલ-વિભાવ પરિણતિ-દૂર થઈ જાય છે, તેથી આત્મા પિતાના નિર્મળ સ્વરૂપમાં મગ્ન થઈ જાય છે તે કારણે