________________
७८४
प्रमण्याकरण यथा 'उड्डाई ' उड्पतिः चन्द्रः सर्वश्रेठस्तथैवताना मध्ये सर्वश्रेष्ठमस्ति । क्या'मणिमुत्तसिलप्पपालरत्तरयणागराण' मणिमुक्ताशिलामवालरतरत्नाकराणा-मणय
चन्द्रकान्तायाः, मुक्ताफलानि-शिलापवालानि पिनुमाणि, रक्तरत्नानिम्यारागा दीनि तेपामारा उत्पत्तिभूमयः, ये ते तथा तेपा मध्ये 'जहा' यथा 'समूहो' ममुद्रा, श्रेष्ठत्तथैवेद जताना मध्ये श्रेष्ठम् , एच मर्वत्र सयोज्यम् । तथा-'जह चेव ' यथा चैत्र 'मगीण' मणीना मध्ये ' वेरुलिओ'हर्य-ये यमणिः । 'जह चेव' यया चैत्र 'आभूसणाण ' आभूपणाना मध्ये 'मउडो' मुकुट । 'पाण' नागा माये 'खोमजुयल चेय' क्षोमयुगमित्र । 'अरविंद चेर' अरविन्दमिव कमलमित्र 'पुप्फजेट' पुष्पज्येष्ठम्-पुष्पेषु अरविन्द श्रेष्यमित्यर्थः । गोसीस चे गोशीर्ष हरिचन्दनमित्र 'चदणाण' चन्दनाना मध्ये 'हिमवतो चेव' हिमवानिव 'ओस ग्रहो में, अश्विनी आदि नक्षत्रों में, और ताराओं में जैसे चद्रमा सर्व श्रेष्ठ माना जाता है उसी तरह सर्व नतों में श्रेष्ठ माना गय, है। तथा ( मणिमुत्तमिलप्पवालरत्तरयगगराण च जहा समुहो) चन्द्रकान्त आदि मणियो की, मुक्ताफलों की, मूगों की और पद्मराग आदि रक्तरत्नों की उत्पत्ति स्थानो में जैसे समुद्र श्रेष्ठ होता है उसी तरह यह वत भी सर्वव्रतो में श्रेष्ठ माना गया है। तया-(जह चेव मणीण वेरुलियो ) जैसे मणियों में वैडूर्यमणि, (जह चेव आभूमणाण मउडो) आभूपणो में जैसे मुकुट, (वत्थाग खोमजुयल चेव) वस्त्रों में जैसे क्षौम युगल, ( अरविंदचेव पुप्फजेट्ट ) पुष्पों में जैसे अरविंद (कमल)(चदणाण गोसीस चेय) चदनो में जैसे हरिचदन, (ओस हीर्ण हिमवतो चेव ) औषधियों की उत्पत्ति के स्थानो में जैसे हिमवान् ભગળ આદિ ગ્રહેમા, અશ્વિની આદિ નક્ષત્રોમા, અને તારાઓમાં જેમ ચ ન્દ્રમાં સર્વશ્રેષ્ઠ મનાય છે એ જ પ્રમાણે સર્વત્રતામાં શ્રેષ્ઠ માનવામાં આવ્યું છે तया " मणिमुत्तसिलप्पकालरत्तरयणागराण च जहा समुद्दो" यन्द्रशान्त माल મણિઓની, મેતીની, મૂગની અને પરાગ આદિ રક્તરોની ઉત્પત્તિ કરવાના સ્થાનેમ જેમ સમુદ્ર શ્રેષ્ઠ મનાય છે એ જ પ્રમાણે આ વ્રત पर सर्व प्रतीमा श्रे०४ भनाय छे तथा “जहचे मणीण वेरुलिओ" रेम अनिमामा पेय भी, 'जह चेव आभूमणाण मउडो" भूपमा म मुगुट "वत्याण सोमजुयल चेव" स्रोमा सेभ दोभयुस "अरविंद चेव पुप्फजेटु " अपामा भ. २विह, “चदणाण गोसीस चेव" यहनामा म स्थिहन