________________
५६९
সমাজগেলে वसितमोक्षगतिनिवास हेतुत्वात् ३४, 'अणासमो' अनाथ-कर्मागमननिराधकत्वात् ३५, 'केलीण ठाण' केवलिना स्थानम्-तेपामाश्रयभूतत्वात् , अहिमास्य वकेवलज्ञान समुत्पद्यते इत्यर्थः ३६, 'सिच' शिवम्-उपद्रवानितत्वात् ३७, 'समिई । समितिः-सम्पपत्तिः , तदूपत्वात् ३८, सील' गील-समाधिः, तदेतत्वात् ३९, 'सजमोति य 'मयमइति च-सयम -हिंसा निवृत्तिम्तद्वेतुत्वात् ४०, ‘सीलघरो' गोलगृहम्-शील सदापारी, यहा नहाचर्य, तम्य गृहकी रक्षा करने का ही इसका स्वभाव है। इसलिये इसका नाम रक्षा है ३३ । इसकी आराधना करते२ ही जीव सिद्वों के आवास में सिद्धिगनि नामक स्थान विशेप में निवास करने लग जाता है इसलिये इसका नाम (मिद्वावासो) सिद्धावास है ३४। (अणासवो) कों के आगमन द्वार की यह निरोधिका है इसलिये इसका नाम अनास्रव है ३५ । ( केवलीण ठाण ) केवलज्ञानी-इसका आश्रय करते है इसलिये इसका नाम केचलि स्थान है। अर्थात् जो अहिंसक होता है उसे ही केवल ज्ञान उत्पन्न होता है ३६ । अहिंसक जीव को कर्जा से भी किसी भी प्रकार के उपद्रव प्राप्त नहीं हो सकते है इसलिये उपद्रवर्जित होने से इमका नाम (सीच) शिव है ३७ । सम्यक् प्रवृत्ति का नाम समिति है. यह अहिंसा समिनिरूप होती हैं इसलिये इसका नाम ( समिई ) समिति है ३८ । शील-समाधि-का यह कारण होती है इसलिये इसका नाम (सील ) शील है ३९ । (सजमो त्ति य) सयम-हिंसा की निवृत्ति होनारूप सयम की यह साधक है इसलिये इसका नाम सयम है। ४० शील-सदाचार अथवा ब्रह्मचर्यकी यह स्थान है इसलिये इसका नाम કરતા કરતા જ જીવ સિદ્ધોના આવાસમા સિદ્ધિગતિ નામના સ્થાનમાં નિવાસ ४२वा साो छ तेथी तेनु नाम " सिद्धावासो" सिद्धावास छ (३४) "अणा सवो" उर्भाना सायमन द्वारनी तनिधि छ, तथा तेन नाम मनासव छ (34) " केनलीण ठाण" विज्ञानी तेन माश्रय छे तथा तेनु नाम उपजी સ્થાન છે એટલે કે જે અહિંસક હોય છે તેને જ કેવળજ્ઞાન પ્રાપ્ત થાય છે (૩૬) અહિંસક જીવને કેાઈ પણ સ્થળેથી કઈ પણ પ્રકારના ઉપદ્રવ થઈ शता नथी तेथी पद्रव २डित डोवाथी तेनु नाम “मिव "शिव (३७) સમ્યક્ પ્રવૃત્તિને સમિતિ કહે છે આ અહિંસા સમિતિડપ હોય છે તેથી તેને " समिई " समिति छ (३८) शील-समाधिना ते १२५३५ डाय छ तथा तेनु नाम "सील" शाद छे (36) ' सजमोत्तिय" सयभ-साथी નિવૃત્ત થવા રૂપ સંયમની તે સાધક છે, તેથી તેનું નામ સયમ છે (૪૦) शीट सहायार भयका प्राय ते स्थान छ था .. - "मीलारो"