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सुदशिनी टीकाम० १ सू० ५ अहिंसापालक कर्तव्यनिरूपणम् नानुजानाति ३, न पचति ४, न पाचयति ५, पचन्त नानुनानाति ६, न क्रोणाति ७, न क्रापयति ७, क्रीणन्त नानुजानाति ९, इत्येता नवकोटयः. आभिः 'परिमृद्ध' परिशुद्ध, तथा- दसहिं य दोसेहिं ' दशभिश्च दोपैः-शङ्कितादिदशदोपैः 'विप्पमुक' पिममुक्तम्, 'उग्गमउप्पायणेसणासुद्ध' उद्गमोत्पादनपणाशुद्ध-आधारुर्मादयः पोडप उद्गमदोपाः, धान्यादयश्च पोडश उत्पादनादोपाः, तद्रूपाया एपणा-गवेपणा, तया शुद्धम् , तथा-' वगयचुयचइयचत्तदेह च' व्यपगतन्युतत्याजितत्यक्तदेह च-तत्र व्यपगताः स्वय पृथग्भूता आगन्तुका पियीलिकादयः, च्युताः मृताः स्वत परतोना दातव्यस्त्वाश्रिता उसने साधु के निमित्त दूसरों से हिंसा कराई हो २, और न साधु के निमित्त हिमा करने वाले की अनुमोदना की गई हो ३। तथा माधु के निमित्त जो स्वय न पफाया हो १, दूसरों से नहीं पकवाया गया हो २
और न जिसमें पकाने वाले की अनुमोदना की गई हो ३, तथा साधु के निमित्त जो पैसा देकर न खरीदा गया हो १, न दूसरों से खरीदवाया गया हो २ और न जिसमें खरीदने वाले की अनुमोदना की गई हो । इस प्रकार की इन नव कोटियो से विशुद्ध आहार आदि की गवेपणा साधु को करनी चाहिये । (दसदिय दोसेहिं विप्पमुक्क) जो आहार शंकित आदि दश दोपों से परि वर्जित हो (उग्गम उपायणेमणासुद्ध) उद्गम, उत्पादनरूप एपणा-गवेषणा से शुद्ध हो-आधाकर्म आदि सोलह उद्गमदोप है, धात्री आदि सोलह उत्पादना दोपो है। इन बत्तीस दोषों से जो रहित हो तथा (वधगयचुयचइयचत्तदेह) (व्यपगत) जिस
કરાવી ન હોય, કે આધુને નિમિત્તે હિંસા કરવાની અનુમોદના થઈ ન હોય, તથા સાધુને નિમિત્તે જે તેણે જાતે બનાવ્યું ન હોય, બીજા પાસે બનાવરાવ્યું ન હોય, કે જેને પકવવાની અનુમોદના અપાઈ ન હોય તથા સાધુને નિમિત્તે જે પૈસા આપીને ખરીદ કર્યું ન હોય, કે બીજા પાસે ખરીદ કરાવાયુ ન હોય, કે ખરીદનારને ખરીદવાની અનુમોદના કરાઈ ન હોય, એ રીતે નવ
आरे विशुद्ध माडा२ महिनी साधुसे गवेष। २वी नये (दसहिय दोसेहिं विप्पमक) मालारास होषाथीडित हाय, (उगम पायणे सणा सुद्ध) अद्भ, पा1३५ मेपणा-गवेषणाथी शुद्ध ।य,-माधाम मासिक હમ દેષ છે, વાત્રી આદિ મેળ ઉત્પાદન દેવ છે-એ બનીસ દોથી જે રહિત डाय, तथा (ववगयचुयचइयचत्तदेह ) (०५५)२ माडामाथी Saale ल! ते १ सयई गया जाय, तया (चुय) ७. स्वय चव गया