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प्रझम्याकरणसूत्रे
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युक्ता येते तथा - 'समियासमिसु ' समिताः समिति - ईर्यादिपसमितिभिर्युक्ता इत्यर्थः तथा - ' समियाना ' शमितपापा: शमितान्तं पापमाणातिपातादिरूप येषा ते तथोक्ताः, तथा 'उन्निहनगरच्छा परिवयजगत्सलाः पद् जीवन काय हिता इत्यर्थः तथा-येते ' णिच्चमष्पमत्ता ' नित्यमममताः सर्वदा प्रमादरहिता, सन्ति, 'एडिय ' एतैश्च पूर्वोक्तगुणविशिष्टेः, तथा-' अण्णेहि य' अन्यैव अनुकूललक्षणैर्गुणवद्भिर्या सा=जगत्मसिद्धा एपा भगवती अहिंसा ' अणुपालिया ' अनुपालिता- रामनः काययोगेरागधितेत्यर्थः ॥ ४ ॥
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युक्त घने हुए हैं, तथा ( समिइसुसमिया ( जो ईर्या आदि पाच ममितियों से युक्त है और इसी कारण से ( समिहपाचा ) जिन्हों के प्राणातिपातादिरूप पाशात हो चुके हैं, तथा (छन्निर जगवच्छला ) जो सदा छरका के जीवो की रक्षा करने में वत्सल भागवाले होते हैं तथा ( णिचमप्पमत्ता) जो पांच प्रमादों से नित्य रहित होते हैं (एहि) ऐसे इन पूर्वोक्त गुणों से विशिष्ट महात्माजनों द्वारा तथा (अण्णेहिय) इस प्रकार के लक्षणों से युक्त अन्य गुणवालों द्वारा (जा सा भगवई ) यह जगत्प्रसिद्ध भगवती अहिंसा ( अणुपालिया ) मन, वचन, और काय, इन तीन योगों की एकाग्रता से अच्छी तरह आराधित की गई है।
भावार्थ -- अहिंसा तत्व को यद्यपि प्रत्येक सिद्धान्त कारोंने अपने २ सिद्धान्तानुसार अपनाया है । परन्तु इस तत्व का बाहिरी स्वरूप विवेचन करते ही वे रह गये है । अन्तरग स्वरूप विवेचन उनकी दृष्टि
भगुइय पाथ भहाव्रतोथी युक्त थयेस छे, तथा " समिइ सुसमिया " ने धर्या આદિ પાચ સમિતિયાથી યુક્ત છે અને એ જ કારણથી " समिइपावा " જેમના પ્રાણાતિપાતાદિપ પાપ શાન્ત થઇ ગયા છે, તથા "छव्विहजगव ज्छला ” જે સદા છકાયના જીવાની રક્ષા કરવામા વત્સલ ભાવ વાળા હાય छे, तथा " णिच्चमप्पमत्ता " ने सहा याथ प्रभाहोथी रहित होय "एएहि " मेवा से पूर्वोक्त गुणोथी युक्त भहात्मानो द्वारा तथा " अण्णेहिय " मा
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પ્રકારના ગુણેાથી યુક્ત અન્ય ગુણવાન દ્વારા जा सा भगवई " मा नविध्यात लगवती भडिमा “अनुपालियो" भन, वयन, भने अय, से त्राही ચેગેાની એકાગ્રતાથી સારી રીતે આરાધવામા આવી છે
ભાવા—અહિંસા તત્ત્વને એ કે દરેક સિદ્ધાન્તકારાએ પેાત પેાતાના
સિદ્ધાન્તાનુસાર અપનાવેલ છે, પણ આ તત્ત્વના ખાદ્ય સ્વરૂપનુ જ વિવેચન તેમણે ક અન્તર્ગ સ્વરૂપ વિવેચન તેમની નજરે ન પડયુ તેનુ પિર