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सुशिनी टीका भ० ४सू० ८ घरदेवयासुदेवस्वरूपनिरूपणम्
४४१ विकसन्ती-विकसायमाना विचित्रा नानारूपकुमुमग्रथितत्वाच्चित्ररूपा या वनमाला सा रचिता वक्षसि वक्षःस्थले येपा ते तया, 'अष्टमयविभत्तलक्खणपसत्य मुदरविराइयगुवगा ' अष्टशतविभक्तलक्षगप्रशस्तमुन्दरपिराजिताङ्गोपाङ्गा = अष्टशतविभक्तरक्षण'-अष्टोत्तरशतप्रकारलक्षणैः प्रशस्तैः = लायनीयैः सुन्दरैः नयनाहादजनकैः विराजितान्यगोपागानि येपां ते तपा अप्टशतशुभलक्षणलक्षित शरीरा इत्यर्य, 'मतगयवरिंदललियविक नक्लिमियगई । मत्तगनवरेन्द्रललित विक्रमनिलसितगतयः मत्तगजवरेन्द्रस्य-ऐरावतस्लेव ललित' सुविलासः यो विक्रम चक्रमण-गमन तद्वत् , विलसिता=विलासयुक्ताः गतिर्येपा ते तथा ' कडिसत्तगनीलपीयकोसेज्जासमा' कटिसनकनीलपीतमोशेयनासस - कटिसूत्रकानि = कटिसूत्रप्रधानानि नीलपीतानि कौशेय वासासियोशेयवसाणि 'रेशमीवस्त्र' इति भापा प्रसिद्धानि येपा ते तथा नीलाम्बरा बलदेवाः, पीताम्बरा वासुदेनाः इति यो य 'पवरदित्ततेया' प्रवरदीप्ततेजसः = महातजस्विन', 'सारयण सुहावनी लगती थी, तथा विकसायमान यो, तथा विविध प्रकार के पुष्पों से ग्रथित होने के कारण यह रँग विरंगी थी, 1 ( अट्टलयविभत्त. लक्खणपसत्थसुदरविराइयगुब्बगा) प्रशस्त-लाधनीय-एव सुन्दर-नेत्रों को आह्लादजनक ऐसे एक सौ आठ (१०८) भिन्न प्रकार के लक्षणों से जिनके अग और उपाग सुशोभित होते थे, तथा (भत्तगयवरिंद ललियविकममविलसियगई ) ऐरावत के विलासयुक्त गमन के समान जिनकी गति विलास सहित होती थी, तथा ( कडिप्लुत्तगनीलपीयकोसेज्जवाससा) जिनके पहिरे हुए नीले पीले रेशमी वस्त्रों (पीत अम्बर धारी वासुदेव एव नील अम्बर धारी बलदेव होते हैं ) पर कटिसूत्र बहुत ही अधिक सुहावना प्रतीत होता है-अर्थात् जिन के नीले पोले रेशमी वस्त्र और कटिमूत्र प्रधान होते है। तथा (पवरदित्तत्तया ) जो વિકસિત હતી, તથા વિવિધ જાતના ફલેમાથી ગુ વેલી હોવાથી ગબેરગી હતી " अट्ठसयविभत्त-लक्सणपसत्थ-मुदर-चिराइयगुव्यगा” रास्त-माशुपासाय અને સુદર નેત્રને આનદદાયક એવા એક ને આઠ (૧૦૮) જુદા જુદા
न साथी मना 2016 शामत ता, तथा “ भत्तगयवरि दललियविकमविलसियगई" मेशपतना वितामयुत मन समान भनी गति विलासयुत ती, तथा “कडिसुत्तगनीलपीयकोसेज्जवाससा " भरे પહેરેલા વાદળી અને પીળા વસ્ત્રો “પીતાંબર ધારી વાસુદેવ અને નીલાબર ધારી मज" ५२ टिसूत्र सत्यत मुह२ सातु तु तथा “पवरदित्ततेया" २ महातवी तथा “सारयणव-यणिय-महुर-गभीर-णिद्ध घोसा"