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प्रश्नध्याकरणस्ने समरे भटा यन स तथा तन " आइरियोयलापहारमाथि " आपवितछेक लापरप्रहारसाधिते तर आपतिताः योगमयता ये का निपुणाः भटाः, तेषां तत्कतका इत्यर्थः, ये लापहारा चातुर्यपूर्णमहारास्ता साधितो निर्मितः य स तथा तस्मिन् । तथा ' ममूसियवाहुजुयले 'समुचितपाहुयुगले-समुन्द्रितानि =हर्षाधिक्यार्थीकतानि पाहुयुगलानि भटैर्यत्र स तया तत्र, तया 'मुहासपुर तबोलनहुले ' मुक्ताहासपूत्कुर्वनोग्बगुले - मुक्ताहासा-कृतमहाहास बनया, पूत्कुर्वन्ता नामनिर्देशपूर्वक परमायन्तो ये सुभटास्तेपा गोला कोलाहला, स पालो यस्मिन् स तथा तस्मिन् । 'फरफलम्गावरणगहियगय वरपत्थददरियमड खलपरोप्परपलग्गजुद्धगनियरिकोसियवरामिरोसत रियाभिमुहपहरतठिणकरिक रपिअगियकरे ' स्फुरफल कारणगृहीतगजरमार्थयमानहमभटपल-परस्परमलान युद्धगर्वितरिकोशितररासि-रोपलरितामिमुखमहर-रिउन्न-परिकर-व्यजित कर तत्र 'फुरफलगाधरणगहिय ' स्फुरफलकावरणा: स्फुरा' अस्त्रमतिघातनिवारकर मैमयपट्टविशेपा, फलकानि- ढाल ' इति भापा प्रसिद्धानि आवरणानि च करवानि, तानि गृहीतानि-धृतानि यैस्ते तथा स्फुरकादि शस्त्रधारिण', तथा ( आडवियडेयलाघवपहारसाहिए ) जो युद्ध करने के लिये उद्यत हुए ऐसे निपुण भटो के चातुर्य पूर्ण प्रहारो से निर्मित किया गया है, (समू सिययाटुजुयले ) तथा जिसमे हर्पित बने हुए भट हर्प की अधिकता से अपने २ घायुगलो को ऊपर उठा रहे हैं (मुक्ट्टहासपुक्कतबोलबहुला तथा जिसमें सुभटजनो की महाहास्यवनि द्वारा एव दूसरो को नाम निर्देशपूर्वक बुलाने के शब्दो द्वारा बहुत कोलाहल मचा रहता है तथा जिसमें योद्धागण (फुरफलगायरणहिय) अस्त्रप्रतिघातको निवारण करनेवाले चर्ममय पविशेषोंको, फलकोंको ढालोको लिये रहते हैं, तथा कवच आदि आवरणोंसे सज्जित रहाकरते है, तथा (गयवरपत्थत) जिसम " आडवियछेयलाधवपहारसाहिए ॥२ युद्ध पाने तयार थपेसा ॥ निपुर सुलटाना यातु पूर्ण महाशिथी युक्तछ "समृसियबाहुजुयले" तय જેમાં આન દિત બનેલા સુભટે આનદની અધિક્તાથી પિત પિતાની ભુજા
या ४री २९स छे "मुक्कट्टहासपुक्कतबोलबहुले" तथा मा सुबटा સુક્ત હાસ્યને ધ્વનિ તથા બીજાને નામ દઈને બોલાવવાના શબ્દો દ્વારા ભા*
मा भयो हो , तथा २मा योद्धामान सभूल " फुरफल्गावरण गहिय " शस्त्रोना धान रोपाने भाटे यम भय पट्ट विशेषोन, सोन-ढालान धारण ४२ छे तथा मत२ आदि मावणाथी म २२ छ तथा "गयव